पिछले एक दशक में उच्चशिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के नक्शे पर भारत की तस्वीर काफी प्रमुखता से उभरी है। इतना ही नहीं, आज भारत उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश बन चुका है।
आज अपने यहां 26,000 से ज्यादा उच्चशिक्षा के संस्थान हैं। इतना ही नहीं, उच्चशिक्षा के लिए नामांकित छात्रों की संख्या (1 करोड़ 36 लाख) के आधार पर हिंदुस्तान दुनिया में तीसरे पायदान पर आता है। पहले व दूसरे स्थान पर चीन व अमेरिका हैं। उच्च शिक्षा से जुड़े ये रोचक पहलू गुरुवार को फिक्की द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आए। यह रिपोर्ट यहां फिक्की उच्चशिक्षा सम्मेलन में जारी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा दौर में अपने यहां 504 यूनिवसिर्टियां व 25,951 कॉलेज हैं, जबकि 1950-51 में यह संख्या क्रमश: 28 व 504 थी। भारत में अगर 1 करोड़ 36 लाख छात्र उच्चशिक्षा ले रहे हैं तो एक दशक पहले इनकी करीब संख्या आधी थी। 2000-01 में अपने यहां उच्चशिक्षा लेने वालों की संख्या 84 लाख थी, जबकि उस समय उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या 11,146 थी।
सर्वे के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या में इस कदर इजाफे की वजह रही बड़ी तादाद में प्राइवेट संस्थानों का आना। मौजूदा दौर में अपने यहां उच्चशिक्षा के क्षेत्र में सकल नामाकंन दर जीएनआर (ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो) 12 फीसदी है, जिसके 2012 तक 15.5 फीसदी तक होने की उम्मीद है, जबकि 2001 में यह मात्र 7 फीसदी थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, बदलती अर्थव्यवस्था के चलते जिस तरह अपने यहां सर्विस सेक्टर का विस्तार हुआ, उसने अपने यहां युवाओं को बड़े पैमाने पर हायर एजुकेशन के लिए प्रेरित किया। सर्विस इकॉनमी बढ़ने से स्किल्ड फोर्स की मांग भी बढ़ी। सर्वे के अनुसार, 2007 में 4 करोड़ 10 लाख शिक्षित कामकाजी युवाओं की मांग थी, जो 2012 तक 5 करोड़ 88 लाख होने की संभावना है।
इतना ही नहीं, अपने यहां हायर एजुकेशन पर होने वाला कुल खर्च 46,200 करोड़ रुपये है, जिसके अगले दस सालों में 150,000 करोड़ होने की उम्मीद है। मौजूदा दौर में हायर एजुकेशन पर होने वाले कुल खर्च का 8 फीसदी पब्लिक संस्थानों पर खर्च होता है, जबकि 92 फीसदी प्राइवेट संस्थानों पर। इस मद का 40 फीसदी पैसा जनरल कोसेर्ज पर खर्च होता है, जबकि 60 फीसदी खर्च प्रफेशनल कोर्सेज पर।
आज आम भारतीय घरों का हायर एजुकेशन पर होने वाला खर्च भी बढ़ गया है। रिपोर्ट बताती है कि आज आम भारतीय घरों के कुल खर्च का तीसरा सबसे बड़ा मद बच्चों की पढ़ाई पर खर्च होता है। 55 फीसदी आम मध्यवगीर्य परिवार अपने बच्चों की उच्चशिक्षा के लिए फिलहाल बचत कर रहे हैं(मंजरी चतुर्वेदी,इकनॉमिक टाइम्स,दिल्ली,12.11.2010)।
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