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09 नवंबर 2010

यूपीःबीएड कॉलेजों में न शिक्षक न सुविधा,फिर भी मनमाना फीस वसूली

उत्तर प्रदेश में एक लाख से अधिक बीएड के छात्रों के साथ हर साल खिलवाड़ हो रहा है। निजी कालेज में न मानक के अनुरूप शिक्षक हैं, न सुविधाएं। इसके बावजूद मनमानी फीस की खुलेआम वसूली हो रही है। इन सबके बीच प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग पूरी तरह लाचार बना है। दरअसल, सरकार इन कालेजों पर नकेल डालना ही भूल गई है। सरकार ने बीएड कालेजों को संबद्धता देने के प्रावधानों में शासन के नियमों के अनुपालन करने व इसके खिलाफ कोर्ट न जाने जैसी कोई शर्त ही नहीं रखी है। लिहाजा मनमानी जारी है और छात्रों से वसूली के मामले में आज तक एक भी बीएड कालेज की संबद्धता समाप्त नहीं की जा सकी है। प्रदेश में एक हजार से अधिक निजी क्षेत्र के बीटेक कालेज, दो सौ के करीब बीफार्म, लगभग एक हजार एमबीए व अन्य विषयों के कालेज चल रहे हैं। सत्र भी नियमित है, फीस भी निर्धारित है। शासन की योजनाओं व आदेशों का भी अनुपालन हो रहा है, लेकिन बीएड कालेज इन सबसे अलग हैं। पिछले चार सालों से बीएड कालेजों में शासन द्वारा निर्धारित फीस तक लागू नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार एक साल पूरे सत्र को शून्य घोषित करने के बाद भी बीएड के सत्र को नियमित नहीं कर पाई है। शून्य फीस के लिए आने वाले आरक्षित वर्ग के छात्रों व छात्राओं से भी मनमानी फीस वसूली होती है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी निदेशक डॉ. रामानंद प्रसाद के अनुसार प्राविधिक शिक्षा की तरह उच्च शिक्षा विभाग में ऐसा कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है। इसलिए कोर्ट न जाने जैसा हलफनामा यहां नहीं लिया जाता(एल.एन.त्रिपाठी,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,9.11.2010)।

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