केंद्र ने कल दिनांक 8.11.2010 को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सशस्त्र सेनाओं के कर्मियों की समस्याओं के तीव्र निदान के लिए आयोग स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। महान्यायावादी गोपाल सुब्रमण्यम ने न्यायमूर्ति मार्केंडेय काटजू व ज्ञान सुधा मिश्र की पीठ को आज बताया कि प्रस्तावित आयोग का ‘अधिकार क्षेत्र’ तय किया जा रहा है।
उन्होंने साफ किया कि आयोग के क्षेत्राधिकार में सशस्त्र सेनाओं के सभी क्षेत्रों के कर्मी नहीं आयेंगे। ‘कुछ क्षेत्रों के लिए आयोग ज़रूरी नहीं हो सकता है, क्योंकि सरकार ने इनके लिए सकारात्मक फैसले लिये हैं।’ पीठ ने 8 सितंबर को एक आदेश जारी कर सरकार से कहा था कि सशस्त्र बलों के सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मियों की समस्याओं पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश के नेतृत्व में स्वतंत्र आयोग गठित करने पर सोचा जाये। हम ऐसा किया जाना ज़रूरी समझते हैं क्योंकि सशस्त्र बच्चों के कर्मियों की समस्याएं हो सकती हैं जिन पर सरकार का ध्यान न गया हो।
गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रस्तावित आयोग का ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। पीठ ने 15 नवंबर को अगली सुनवाई का प्रस्ताव किया(आर सेधुरमन,दैनिक ट्रिब्यून,दिल्ली,9.11.2010)।
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