आप अब छठा वेतनमान लागू होने के बाद इतना वेतन पाते हो तो पढ़ाने की भी आदत डालो। आपकी जो भी मांगें व समस्याएं हैं वह विवि नियमों व परिनियमों के तहत जल्दी हल की जायेंगी। एक शिक्षक होने के नाते मैं यह आश्र्वासन देता हूं। यह नसीहत शुक्रवार को वीसी प्रो. एनके तनेजा ने शिक्षक संघ के सदस्यों को दी। विवि शिक्षक संघ (मूटा) का एक प्रतिनिधि मंडल शुक्रवार शाम वीसी प्रो. तनेजा से मिला। मूटा के पूर्व अध्यक्ष डा. पीयूष वशिष्ठ व फुफुक्टा अध्यक्ष डा. मौजपाल सिंह के नेतृत्व में दो घंटे तक चली वार्ता में कई बिन्दुओं पर सहमति बनी। संघ ने 15 सूत्रीय ज्ञापन भी कुलपति को सौंपा। शिक्षक नेताओं का सबसे ज्यादा जोर इस बात पर रहा कि शिक्षकों के यूजीसी के एक सप्ताह में 40 घंटे कालेज रुकने के आदेश से उनका शोषण हो रहा है। इस आदेश को वापस लिया जाय। शिक्षक यूजीसी के आदेश को मानने को बाध्य ही नहीं हैं। प्रदेश व विवि के आदेश को मानने को बाध्य हैं। इस पर वीसी ने भी उन्हें दो टूक कहा कि वह केवल अधिकारों के लिए न लडे़, कुछ पढ़ाने की आदत भी डालें। शिक्षक नेताओं ने विवि एवं कालेजों की आरडीसी अलग करने एवं पुरानी व्यवस्था को बहाल करने व शोध के मूल्यांकन में थीसिस के परिणाम देरी से आने का मुद्दा उठाया। पीएचडी की मौखिक परीक्षा दुबारा से कालेजों में कराने एवं वीडियोग्राफी को समाप्त करने की मांग भी उठायी। वार्ता में पीएचडी में लंबित फाइलों को शीघ्र निपटाने, शोध छात्रों को सात वर्ष से अधिक का समय न देने, विवि बोर्ड आफ स्टेडी के साथ नहीं मिलाने पर सहमति बनी। विद्वत परिषद, परीक्षा समिति व अन्य में शिक्षक प्रतिनिधियों को शामिल करने का आश्र्वासन दिया। किया जायेगा। विवि परीक्षा मूल्यांकन के विकेंद्रीकरण पर भी विचार होगा। शिक्षकों के कल्याण कोष की वित्तीय अनियमितताओं को दूर करके जल्दी ही बैठक बुलायी जायेगी। पीजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली में जो भी कमियां हैं वह भी दूर होंगी(दैनिकजागरण,मेरठ,20.11.2010)।
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