हिमाचल प्रदेश में शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन पर फैसला टल गया है। पंचायत चुनाव सिर पर आने के कारण सरकार अब इस मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती। यही कारण है कि विगत एक पखवाड़े से इस मसले पर गठित कमेटी की बैठक नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि सरकार अभी शिक्षा विभाग में उठापटक के मूड में नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने निदेशालय पुनर्गठन के लिए एक कमेटी का गठन किया है। पूर्व में इस कमेटी की बैठकें आयोजित की गई, लेकिन बीते कुछ समय से कोई बैठक नहीं हुई है।
शिक्षा विभाग तीन निदेशालयों का गठन करना चाहता है। इसकी प्रक्रिया को लेकर प्रारूप तैयार करने का काम अंतिम दौर में था। प्रारूप तैयार होने के बाद इस पर चर्चा के लिए कमेटी की बैठक बुलाई जानी थी। इसी बीच पंचायत चुनाव का समय आ गया। अब कमेटी की बैठकें नहीं हो रही हैं। कमेटी ने बैठक के बाद निदेशालय पुनर्गठन का प्रारूप सरकार को सौंपना है।
कमेटी में उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. ओपी शर्मा को अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी है। पुनर्गठन से पहले शिक्षा विभाग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड आदि की व्यवस्था का भी अध्ययन किया है।
इस संबंध में प्रदेश शिक्षा विभाग अधिकांश मामलों में पंजाब का अनुसरण करेगा। पंजाब में इस समय प्राथमिक,च्उच्चतर माध्यमिक वच्उच्च शिक्षा निदेशालय काम करता है। वहीं, उत्तराखंड में मौजूदा समय में पहली से दसवीं कक्षा के लिए अलग से व्यवस्था है। उसके बाद जमा एक व जमा दो के लिए इंटरमीडियट कालेज हैं।
अभी हिमाचल में प्रारंभिक व उच्च शिक्षा निदेशालय काम कर रहे हैं। विभाग का शिक्षा महानिदेशक बनाए जाने का भी विचार है। इंस्पेक्शन के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। वैसे तो सभी लोग तीन निदेशालयों के गठन पर सहमत हैं, लेकिन स्कूल कैडर के प्रवक्ता चाहते हैं कि सेकेंडरी शिक्षा का सारा जिम्मा उनके वर्ग को सौंपा जाए। वे स्कूल शिक्षा से कालेज कैडर के अधिकारियों व एचएएस अधिकारियों को अलग किए जाने के पक्ष में हैं। उधर, विभिन्न अध्यापक संगठनों का कहना है कि शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन को लेकर उनके प्रतिनिधियों की भी राय ली जानी चाहिए। निदेशालय पुनर्गठन की सारी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।
शिक्षा मंत्री आईडी धीमान का कहना है कि शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन को लेकर सरकार सभी पहलुओं पर विचार कर ही अंतिम फैसला लेगी। इस मसले पर कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी अपने सुझाव सरकार को सौंपेगी। उस पर विचार के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा(दैनिक जागरण,शिमला,29.11.2010)।
धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
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