बीएड की काउंसिलिंग खत्म हो चुकी हैं लेकिन विद्यार्थियों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पहली और दूसरी काउंसिलिंग के अभ्यर्थी पहले ही परेशान थे अब तीसरी काउंसिलिंग के अभ्यर्थी भी बीएड कॉलेजों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। छात्रों ने लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत की है कि कॉलेज सीट न होने का हवाला देकर उन्हें प्रवेश नहीं दे रहे हैं। इससे उनकी पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है। बीएड कॉलेजों के रवैये से विद्यार्थियों को सुकून नहीं मिल रहा है। पहले फीस के नाम पर पढ़ाई बाधित रही और फिर सीटों का पेच फंस गया। उम्मीद जताई गई कि तीसरी काउंसिलिंग के अभ्यर्थियों को कोई दिक्कत नहीं होगी। तीसरे और अंतिम चरण की काउंसिलिंग में 2,50,000 रैंक तक के अभ्यर्थियों को शामिल किया गया था। काउंसिलिंग के बीच 17 नए कॉलेज बढ़ने से 23 नवंबर को सभी अभ्यर्थियों को बुलाया गया साथ ही काउंसिलिंग एक दिन बढ़ाई भी गई। अंतिम काउंसिलिंग में लविवि ने सभी सीटें भरने की बात कही थी। काउंसिलिंग के बाद विद्यार्थियों को संबंधित कॉलेज का आवंटन पत्र जारी किया गया। छात्र कॉलेज पहुंचे तो वहां बताया गया कि सीट खाली नहीं हैं। विद्यार्थियों ने बताया कि पूरी फीस जमा की है, फिर भी उन्हें दाखिला नहीं दिया जा रहा है। कॉलेज ने प्रवेश नहीं दिया तो छात्रों ने लखनऊ विश्वविद्यालय आकर शिकायत की। छात्रों ने बताया कि कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन दीक्षांत समारोह के कारण किसी ने ध्यान नहीं दिया। छात्रों का कहना है कि पढ़ाई शुरू हो चुकी है। सत्र पहले से ही पिछड़ा हुआ है अब और देर होने से पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। लविवि प्रशासन से मांग की है कि उन्हें प्रवेश दिलाएं और कॉलेजों को नोटिस जारी करें। आज होगी सुनवाई फीस कंफर्मेशन रसीद के अभाव में निरस्त किये गए प्रवेशों के मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय कोई कानूनी राय नहीं ले सका है। इससे पहली काउंसिलिंग के टॉपर विद्यार्थियों के साथ-साथ दूसरी काउंसिलिंग के विद्यार्थियों की पढ़ाई भी बाधित है। दरअसल इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच के अलग-अलग निर्णय आने पर लविवि प्रशासन ने कानूनी राय लेने के बाद किसी नतीजे पर पहुंचने की बात कही थी। एक माह से अधिक समय बीत गया लेकिन लविवि प्रशासन कानूनी राय नहीं ले सका। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। सोमवार को सुनवाई के बाद फैसला आने की उम्मीद है(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.11.2010)।
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