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15 नवंबर 2010

फुटवियर डिजाइनिंग में करिअर

पैरों की शोभा बढ़ाने वाले और आपके व्यक्तित्व को दर्शाने वाले फुटवियर देखते ही देखते वैश्विक उद्योग का रूप ले चुके हैं। लगातार व्यापक होता यह उद्योग करिअर के लिहाज से भी विशेष भूमिका निभा रहा है। फैशनपरस्ती के इस युग में अपने लुक को लेकर लोग इतने सजग रहते हैं कि फुटवियर के चुनाव में ज़रा सी ढिलाई नहीं बरतना चाहते। हर आयु वर्ग के लोग कपड़ों के साथ फुटवियर की खरीदारी भी पूरी सावधानी से करते हैं। करें भी क्यों न, आखिरकार कपड़ों और जूतों को देखकर ही लोगों के रुतबे का अंदाज़ा लगता है। शानो-शौकत के प्रदर्शन में खास बन चुके फुटवियर की दुनिया भी पूरी तरह से ब्रांडेड होती जा रही है। ब्रांडेड और डिजाइनर फुटवियर इस कदर लोकप्रिय हो रहे हैं कि कुछ ब्रांड के एक जोड़ी फुटवियर की कीमत 50 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। देखने में सामान्य से नज़र आने वाले इन फुटवियर की इतनी कीमत की वजह इनका ब्रांड, फैब्रिक और डिजाइन माना जाता हैं। डिजाइनर फुटवियर का बाजार दिन दूनी और रात चौगुनी रफ्तार से तरक्की कर रहा है। इसके बढऩे से फुटवियर डिजाइनिंग से जुड़े पेशे का भी विस्तार हो रहा है जिसके चलते इस क्षेत्र का चुनाव करिअर के रूप में करने वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है।

एक समय तक फुटवियर के नाम पर लोगों के पास विकल्प के रूप में बहुत कम चीजें होती थीं। चमड़े, जूट और लकड़ी के अलावा कोई चौथी चीज नहीं थी जिससे फुटवियर बनाए जा सकते हों। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस समय लेदर, प्लास्टिक, कैनवस, जूट, रबड़, कपड़े आदि कई चीजों से फुटवियर बनने लगे हैं। आधुनिक मशीनों और कुशल कारीगरों की सहायता से फुटवियर इंडस्ट्री चमत्कारिक ढंग से तरक्की कर रही है। इसके तरक्की करने के साथ ही फुटवियर डिजाइनिंग का स्कोप भी बढ़ रहा है। फुटवियर डिजाइनिंग टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन विकसित हो रही है, इससे डिजाइनिंग के नए-नए तरीके विकसित हो रहे हैं।

इन तरीकों के विकसित होने से नई तकनीक के जानकार डिजाइनरों की फुटवियर इंडस्ट्री में हर समय मांग बनी रहती है। रचनात्मकता से भरा फुटवियर डिजाइनिंग का यह क्षेत्र नए विचारों और जानकारियों का मिश्रण है। इसमें करिअर बनाने के लिए छात्र को फुटवियर डिजाइनिंग इंडस्ट्री के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। फुटवियर बाजार में इस समय क्या ट्रेंड है या पिछले 10 वर्षों के दौरान फुटवियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में किस तरह के परिवर्तन आए हैं। इन तमाम जानकारियों के साथ ही फुटवियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में न सिर्फ बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है बल्कि लगातार तरक्की की सीढिय़ां भी चढ़ी जा सकती हैं। इसके साथ ही फुटवियर को तैयार करने में जो फैब्रिक इस्तेमाल हो रहा है, उसकी परख करनी आनी चाहिए। ब्रांड और नॉन ब्रांड दोनों को बिना नाम देखे ही पहचान लेने की कला में भी माहिर होना चाहिए। कुछ लोग यह सोचते हैं कि फुटवियर डिजाइनिंग का काम सिर्फ बड़ी फुटवियर कंपनियों में ही होता है; लेकिन ऐसा नहीं है। फुटवियर डिजाइन मंझोले और छोटे फुटवियर ब्रांड भी कराते हैं। इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। अगर आपका दिल भी फुटवियर की डिजाइन देखकर बाग-बाग हो जाता है और दिमाग में इनकी डिजाइन को लेकर कई नए ख्याल आने लगते हैं तो समझिए कि यह क्षेत्र आपके करिअर के लिए बिल्कुल सटीक है। सिर्फ क्षेत्र की चकाचौंध को देखकर इसमें प्रवेश करने की न सोचें। इससे आप जमीनी स्तर पर फुटवियर डिजाइनिंग से नहीं जुड़ पाएंगे।

कोर्स : फुटवियर डिजाइनिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं। अंडरग्रेजुएट डिप्लोमा और सर्टीफिकेट कोर्स करने के लिए उम्मीदवार को किसी भी विषय में 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। फुटवियर डिजाइनिंग में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स के लिए छात्र का किसी भी विषय से ग्रेजुएट होना जरूरी है। इनमें से ज्यादातर कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा से होकर गुजरना होता है। प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने वालों को ही डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करने योग्य माना जाता है। इसके अलावा बड़े स्तर पर फुटवियर डिजाइनिंग के बी.टेक. और एम.टेक. डिग्री प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं। बी.टेक. और एम.टेक. के प्रोग्राम में वही छात्र प्रवेश ले सकते हैं जिन्होंने 12वीं में विज्ञान विषय लिया हो। इसके अलावा इंजीनियरिंग के छात्र भी इस प्रोग्राम में हिस्सा ले सकते हैं।

आय : करिअर के मौजूदा विकल्पों से थोड़ा अलग होने के कारण इस क्षेत्र में शुरुआती आय कम है। डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करने के बाद 10 से 12 हजार रुपए प्रति माह की नौकरी मिल जाती है। कुछ समय के अनुभव के बाद 15 से 20 हजार रुपए तक वेतन मिलने लगता है। फुटवियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में बतौर फ्रीलांस भी जुड़ा जा सकता है। फुटवियर डिजाइनिंग से जुड़ा खुद का व्यापार डालने पर करोड़ों रुपए साल की आमदनी हो सकती है। यह व्यापार के आकार पर भी निर्भर करता है। ज्यादातर लोग थोड़े समय तक किसी फुटवियर कंपनी में काम करने के बाद अपनी खुद की कंपनी खोल लेते हैं।

प्रमुख संस्थान:
फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीच्यूट, नोएडा
फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीच्यूट, चेन्नई
सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीच्यूट, चेन्नई
सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग सेंटर, चेन्नई
गवर्नमेंट लेदर इंस्टीच्यूट, आगरा
हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीच्यूट, कानपुर
नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नयी दिल्ली
एवीआई स्कूल ऑफ फैशन एंड शू टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़
कालेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता
इंस्टीच्यूट ऑफ गवर्नमेंट लेदर वर्किंग स्कूल, मुंबई
नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड, चेन्नई
(कीर्ति शेखर,शिक्षालोक,दैनिक ट्रिब्यून,10.10.2010)

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