इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के निर्देश पर सीबीआई ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 11 वकीलों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।वकालत की आड़ में गैर-कानूनी कृत्यों में लिप्त दागी वकीलों से सीबीआई के अधिकारी अब पूछताछ की तैयारी में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार 29 नवंबर के पूर्व एक दर्जन से अधिक वकीलों से पूछताछ की जाएगी। इनमें से कुछ ऐसे वकील भी हैं, जिनकी वकालत की डिग्री फर्जी होने का अंदेशा है और उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इन वकीलों से पूछताछ करने और उनसे मिले तथ्यों की जांच करने के लिए सीबीआइ अधिकारियों की सात टीमें बनायी गयी हैं। गौरतलब है कि गत 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सिविल कोर्ट के दागी वकीलों के खिलाफ सीबीआइ सहित तमाम जांच एजेंसियों को जांच का जिम्मा सौंप कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इस क्रम में बुधवार को दागी वकीलों के चिह्नित मामलों में 11 प्राथमिकी दर्ज कर इसकी प्रतियां सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट कामेश शुक्ला की अदालत में दाखिल की गईं। सूत्रों के अनुसार दागी वकीलों के गैरकानूनी कारनामों को लेकर जो तथ्य सीबीआई ने जुटाये हैं, उनकी समीक्षा दिल्ली से आये सात अफसर कर रहे हैं। पाया गया है कि कुछ वकीलों ने वादकारियों से भी दबंगई की है। शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया था कि 29 सितंबर को जब वह अपने मुवक्किल के मामलो की पैरवी करने के लिए सिविल अदालत में पहुंचे तो वहां अधिवक्ताओं के समूह ने उनके साथ हाथापाई की और उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया। कुछ ऐसे वकील भी हैं, जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण और जमीन-मकान हड़पने का मामला भी दर्ज हैं। ऐसे दागी वकीलों की सूची तैयार कर सीबीआइ अधिकारी उनसे पूछताछ करेंगे। यदि जरूरी हुआ तो इन वकीलों की गिरफ्तारी भी की जाएगी। जांच के प्रमुख बनाये गए ओपी गलहोत्रा इस बारे में कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। उनकी टीम के अन्य सात अधिकारियों का भी यही रुख है। सूत्रों का कहना है कि 29 नवंबर को हाईकोर्ट में इस मामले अब तक हुई कार्रवाई की समीक्षा की जानी है। इसके चलते ही कई वकीलों से पूछताछ करने की योजना बनी है, ताकि जांच का ब्यौरा रखा जा सके(दैनिक जागरण,लखनऊ,12.11.2010)।
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