मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों की झलक ने अभिभावकों को निराश कर दिया है। शिक्षा निदेशालय एचआरडी मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार कर रहा है। अभिभावक लॉटरी सिस्टम से नाखुश है साथ ही निदेशालय को दाखिलों के लिए एकरूप प्रक्रिया देने को कह रहे हैं।
२०११-१२ के लिए नर्सरी दाखिला प्रक्रिया की दुविधा से अभिभावक परेशान हो गए हैं। वहीं अभिभावकों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के निर्देशों से लग रहा है कि निर्देश स्कूलों के पक्ष में है। अभिभावकों का कहना है लॉटरी द्वारा दाखिलों में पारदर्शिता नहीं होगी।
वहीं विशेषज्ञ भी यही मान रहे है कि एचआरडी से निर्देशों के लिए आए स्पष्टीकरण से दुविधा और बढ़ गई है। इसके अलावा इसमें बच्चे की उम्र को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं है। अभिभावक लगातार बच्चे की उम्र को लेकर पूछताछ कर रहे हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों की झलक ने अभिभावकों को निराश कर दिया है। शिक्षा निदेशालय एचआरडी मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार कर रहा है। अभिभावक लॉटरी सिस्टम से नाखुश है साथ ही निदेशालय को दाखिलों के लिए एकरूप प्रक्रिया देने को कह रहे हैं।
२०११-१२ के लिए नर्सरी दाखिला प्रक्रिया की दुविधा से अभिभावक परेशान हो गए हैं। वहीं अभिभावकों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के निर्देशों से लग रहा है कि निर्देश स्कूलों के पक्ष में है। अभिभावकों का कहना है लॉटरी द्वारा दाखिलों में पारदर्शिता नहीं होगी।
वहीं विशेषज्ञ भी यही मान रहे है कि एचआरडी से निर्देशों के लिए आए स्पष्टीकरण से दुविधा और बढ़ गई है। इसके अलावा इसमें बच्चे की उम्र को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं है। अभिभावक लगातार बच्चे की उम्र को लेकर पूछताछ कर रहे हैं।
अभिभावकों का कहना है कि वेबसाइट में आए आरटीई के निर्देश में स्पष्ट है कि स्कूल दाखिलों के लिए अपने अनुरूप प्रक्रिया तैयार कर सकते हैं। बच्चे के दाखिले के लिए प्रयास कर रही वंदना कहती हैं कि वेबसाइट में निर्देशों को पढ़ने के बाद यही लग है कि लॉटरी सिस्टम भी नहीं है। एचआरडी ने जो निदेशालय के लिए निर्देश तैयार किए हैं उसके मुताबिक स्कूल एक प्रक्रिया तैयार कर सकेगा। लेकिन यह ठीक नहीं है। किदवाई नगर रहने वाली रेणुका मिश्रा कहती हैं कि स्कूलों की पुरानी कहानी को ही घुमा फिराकर रखा जा रहा है। अगर इसी के अनुरूप दिशा निर्देश आए तो स्कूलों को एक बार फिर अपनी मनमानी करने का मौका मिल जाएगा।
अधिकांश अभिभावक इस समय यही जानना चाह रहे हैं कि उम्र को लेकर सरकार स्पष्टीकरण दें। नर्सरी दाखिला संबंधी वेबसाइट के वेबमास्टर सुमित वोहरा कहते हैं कि पिछले दो सालों में नर्सरी दाखिलों को लेकर इस तरह की दुविधा सामने नहीं आई है।
दाखिलों में बच्चों की उम्र को लेकर सरकार को फरवरी माह में प्रस्ताव दिया गया था जो कि अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। अब शिक्षा निदेशालय के निर्देश न आने तक स्पष्ट ही नहीं है कि ड्रा होगा, स्कूल द्वारा तय प्रक्रिया होगी या एचसआरडी द्वारा तय कुछ प्वाइंट्स को दाखिलों का आधार बनाया जाएगा। लेकिन अभिभावक बच्चों और अभिभावकों की स्क्रीनिंग पर पूरी तरह से बैन से खुश हैं। अभिभावकों का कहना है कि अब शिक्षा निदेशालय को कुछ ऐसी प्रक्रिया की घोषणा करनी चाहिए जिससे कि स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे और बच्चों का दाखिला अभिभावकों के लिए सिरदर्दी न बने(नई दुनिया,दिल्ली,27.11.2010)।
अभिभावकों के लिये तो बस सिरदर्द और सिरदर्द ही है। धन्यवाद।
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