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03 नवंबर 2010

वेतन में होगी डबल डिजिट ग्रोथ

अगले साल कैसा होगा सैलरी चेक?
वेतन बढ़ोतरी पर हेविट एसोसिएट्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र में किए गए सर्वे में भारतीय कंपनियों और उनके कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। इस ग्लोबल स्टडी में भारत की 260 कंपनियों को भी शामिल किया गया।

सर्वे में वेतन में डबल डिजिट ग्रोथ जारी रहने और ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को वेरिएबल पे के दायरे में लाने की बात कही गई है।

डबल डिजिट सैलरी ग्रोथ
कंपनियों की बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कितनी है, इसका फैसला करने में वेतन बढ़ोतरी की बड़ी भूमिका होगी। साल 2011 में पिछले साल और 2006-08 से भी ज्यादा वेतन बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। आर्थिक मंदी के बादल छंटने के बाद पिछली तीन तिमाहियों में भारत ने काफी तेजी से रिकवरी की राह पकड़ी है। सर्वे के मुताबिक, उत्पादन और रोजगार के अवसरों में खासी तेजी को देखते हुए कंपनियों के ज्यादा से ज्यादा निवेश करने की संभावना है।

ऐसे में, ग्राहकों और कर्मचारियों दोनों के लिए अवसरों का अंबार होगा। दरअसल, भारत में रिकवरी दुनिया के दूसरे मुल्कों से ज्यादा तेज है। आप उन सेक्टरों में इसकी साफ झलक देख सकते हैं कि जहां घरेलू निवेश और खपत पर ज्यादा जोर है।

इन सेक्टरों में बीमा, कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपभोक्ता सामग्री, फार्मा और ऑटोमोबाइल शामिल हैं। इन सेक्टरों में देसी निवेश और खपत 90 से 95 फीसदी तक है। चूंकि भविष्यवाणियां काफी सकारात्मक हैं और इस वजह से कारोबारी समुदाय इस बार 2008 की तरह ही दरियादिली दिखाएगा। सर्वे में जूनियर मैनेजमेंट और सीनियर एग्जिक्यूटिव स्तर पर वेतन बढ़ोतरी की गुंजाइश ज्यादा है। जहां तक मिडिल मैनेजमेंट की बात है, तो यहां भी ट्रेंड (वेतन का) कमोबेश एक ही जैसा है।

ज्यादा वेरिएबल पे
स्टडी के मुताबिक, भारत की 93 फीसदी कंपनियां किसी न किसी तरह से वेरिएबल पे देती हैं। यह संख्या 100 फीसदी तक हो सकती है। वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में जब बड़ी आईटी कंपनियों ने वेरिएबल पे नहीं दिया तो कर्मचारियों ने इसे वेतन में कटौती का मामला समझा। हालांकि हकीकत यह है कि साल 2003 से 2008 के बीच कर्मचारियों को हर साल 100 फीसदी और इससे भी ज्यादा वेरिएबल पे का भुगतान किया गया।

शायद यही वजह है कि ये कर्मचारी वेरिएबल पे को सैलरी पैकेज का हिस्सा मानते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वेरिएबल पे में बढ़ोतरी होगी, लेकिन इस बारे में मैनेजरों को अपनी टीम को साफ-साफ बताने की जरूरत है कि उन्हें कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर यह राशि मिलेगी। इसके अलावा, इसमें कर्मचारियों का निजी प्रदर्शन भी काफी अहम होता है।

और बेहतरीन प्रतिभाओं की जरूरत
प्रतिभाओं की तलाश के लिए कंपनियों को और फोकस करने की जरूरत है। 2009 के संकट की वजह से कई कंपनियों को खर्च में कटौती के लिए कई तरह के उपाय अपनाने पड़े। ज्यादा अनुभवी कंपनियां अब नई प्रतिभाओं को जोड़ने के लिए आईआईटी या आईआईएम जाने की बजाय नई-नई तरकीबें ढूंढने में लगी हैं। कंपनियां कर्मचारियों से यह भी पूछ रही हैं कि वे अपनी सैलरी का ढांचा किस तरह से तैयार करना पसंद करेंगे।

सर्वे के मुताबिक, अगर कोई कंपनी यह सोचती है कि शेयरों का विकल्प मुहैया कर सभी नए कर्मचारियों में मालिकाना भाव पैदा कर दिया जाएगा, तो यह बेवकूफी है। कई कर्मचारी ईसॉप के बदले कैश पसंद करते हैं।
(लबोनीता घोष,इकनॉमिक टाइम्स,दिल्ली,3.11.2010)

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