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06 दिसंबर 2010

पंजाब यूनिवर्सिटी पर हर साल 10 फीसदी आय बढ़ाने की शर्त

पंजाब यूनिवर्सिटी को अपनी आय में 10 फीसदी का इजाफा करना ही होगा। पीयू को केंद्र सरकार से मिलने वाली 90 फीसदी ग्रांट के साथ यह शर्त तय की गई है। यह शर्त पूरी करने के लिए पीयू को खर्चो में कटौती के साथ कमाई के नए संसाधन भी तलाशने होंगे। इसी के चलते यूनिवर्सिटी में सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्सेस के स्टूडेंट्स पर 10 से 15 फीसदी फीस वृद्धि का बोझ भी पड़ सकता है। आया न बढ़ने पर केंद्र से मिलने वाली 90 फीसदी ग्रांट में कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

पीयू के वीसी सीनेट की बैठक में साफ कर चुके हैं कि देश की एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा आय बढ़ाने की शर्त का पालन न करने पर केंद्र सरकार जवाब तलब कर चुकी है। पीयू प्रशासन ने आम छात्रों पर पिछले लंबे अरसे से ट्यूशन फीस नहीं बढ़ाई है। हालांकि 2007 से पहले हर साल 10 फीसदी ट्यूशन और दूसरी फीस बढ़ती रही है। पीयू प्रशासन अभी भी आम छात्रों पर बढ़ी हुई फीस का बोझ न डालने के फैसले पर कायम है। लेकिन सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस पर फीस बढ़ना तय है।

पीयू के मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में 135 करोड़ की आय प्रस्तावित है। यानी अगले साल के लिए पीयू को अपनी आय बढ़ाकर लगभग 150 करोड़ करनी होगी। इस शर्त को पूरा करने के वास्ते खर्चो में कटौती और संसाधनों से आय बढ़ाने के लिए पीयू ने मंथन शुरू कर दिया है। आय बढ़ाने के लिए हर साल सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्सेस की फीस बढ़ानी होगी।


नया दर्जा देने के साथ केंद्र ने यूनिवर्सिटी को 135 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। इस राशि से पीयू ने अपने टीचरों और कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के बकाया एरिअर का भुगतान किया। लेकिन इस दर्जे के साथ ही केंद्र सरकार की ओर से पीयू को कुछ शर्तो को भी लागू करना होगा। 

लगातार बढ़ते घाटे का बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने पीयू को इंटर स्टेट कॉपरेरेट बॉडी का स्टेटस देते हुए हर साल 90 फीसदी ग्रांट देने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी का स्टेटस दिए बगैर पीयू को सेंट्रल एजूकेशन इंस्टीट्यूशन एक्ट 2006 के तहत यह ग्रांट देने का रास्ता निकाला है। अब पीयू के अपने संसाधनों से होने वाली आय के अलावा बाकी खर्चे को पूरा करने के लिए 90 फीसदी ग्रांट केंद्र सरकार दे रही है। इससे पहले केंद्र सिर्फ 60 फीसदी राशि देता था लेकिन वह राशि भी कई बरसों से 32 करोड़ पर ही टिकी थी। लेकिन पिछले साल केंद्र ने थोड़ी ज्यादा राशि जारी करके यह सीलिंग तोड़ी थी(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,6.12.2010)।

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