शीर्षक पढ़कर आपको लग रहा होगा कि गुरुजनों के लिए आयोजित की गयी खेलकूद प्रतियोगिता में गुरुजी लोग फेल हो गये। पर माफ कीजिए, यहां सरकार ने शिक्षण की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों की दक्षता परीक्षा का दांव खेला था। परीक्षा में शामिल 787 गुरुओं में से दस प्रतिशत फेल हो गये।
वाकई यह कम हैरानी की बात नहीं है। जिन गुरुजी पर बच्चों की शैक्षिक बुनियाद को मजबूत करने की जिम्मेदारी है, वही गुरुजी लोग अपने विषय की दक्षता परीक्षा में फेल हो जाएं तो फिर बच्चों के भविष्य का तो भगवान ही मालिक है। उसमें भी जब शिक्षक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के हों तो हैरानी होना लाजिमी है। राज्य सरकार ने तीन साल पहले नियोजित किए गये माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की दक्षता जांच के लिए मूल्यांकन परीक्षा-2010 का आयोजन किया था। इसका परिणाम मानव संसाधन विकास विभाग ने गुरुवार को घोषित कर दिया। इस परीक्षा में पटना जिले के 630 माध्यमिक शिक्षकों और 157 उच्च माध्यमिक शिक्षकों ने भाग लिया था। शिक्षकों से उनके विषय से संबंधित ही प्रश्न पूछे गए थे। लेकिन इसमें 70 माध्यमिक शिक्षक और 11 उच्च माध्यमिक शिक्षक फेल हो गए। परीक्षा में फेल और मान का मर्दन होने की वजह से अनुत्तीर्ण शिक्षकों ने महकमे में आकर रिजल्ट भी लेना भी उचित नहीं समझा। मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा फेल शिक्षकों का रिजल्ट उनके विद्यालयों में भेजने की तैयारी की जा रही है। अब फेल हुए शिक्षकों को इस बात के लिए आत्मचिंतन करना होगा कि आखिर वे पिछले तीन साल से विद्यार्थियों को क्या पढ़ा रहे थे? वहीं रोचक यह कि दक्षता परीक्षा में फेल होने के भय से 17 शिक्षक तो परीक्षा देने ही नहीं आए।
जिला शिक्षा अधिकारी किरण कुमारी ने गुरुवार को बताया कि परीक्षा से फरार रहे शिक्षकों की वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गयी है। वहीं नियमावली के आलोक में परीक्षा में फेल शिक्षकों का वेतन वृद्धि रुक जाएगी(दैनिक जागरण,पटना,10.12.2010)।
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