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10 दिसंबर 2010

दिल्लीःनर्सरी में दाखिला प्वाइंट सिस्टम से ही

राजधानी में नर्सरी दाखिले को लेकर दो माह से जारी असमंजस की स्थिति बृहस्पतिवार को खत्म हो गई। स्कूल प्रतिनिधियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दाखिले के लिए प्वाइंट सिस्टम को ही आधार बनाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने आदेश जारी किया कि शिक्षा के अधिकार कानून को राजधानी के सभी स्कूलों में लागू किया गया है। इसके तहत 25 फीसदी गरीबी कोटा भी सरकारी आदेश से प्रभावी हो गया है।

सचिवालय में बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली के अलावा शिक्षा अधिकारी व स्कूलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में हिस्सा लेने वाले दिल्ली पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और स्कूल प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद तय किया कि प्वाइंट सिस्टम के आधार पर ही नर्सरी में दाखिला होगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 25 फीसदी गरीबी कोटा लागू करने का भी आदेश सुनाया है। अब स्कूल में 25 फीसदी गरीबी कोटा लागू हो गया। राजधानी में डीडीए से सस्ती दर पर ली गई जमीन पर 394 पब्लिक स्कूल चल रहे हैं। इनमें नियम के हिसाब से पहले से 15 फीसदी कोटा लागू है। लिहाजा मुख्यमंत्री ने यह व्यवस्था सुनिश्चित की है कि जहां 15 फीसदी कोटा है, उसमें केवल 10 फीसदी का इजाफा कर गरीबी कोटा को 25 फीसदी किया जाए। इसमें से 10 फीसदी गरीब छात्रों की पढ़ाई का खर्च शिक्षा के अधिकार कानून के तहत दिल्ली सरकार वहन करेगी।

'सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे'
निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीबी कोटा लागू होने का स्कूल प्रशासन विरोध कर रहे हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि 25 फीसदी कोटा वे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे। दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट जाएंगे। डीडीए से सस्ती दर पर जमीन लेकर चलने वाले स्कूलों में कोटे की बात समझ में आती है लेकिन अन्य 15 हजार स्कूल ऐसा नहीं करेंगे(दैनिक जागरण,दिल्ली,10.12.210)।

दैनिक भास्कर की रिपोर्टः
नर्सरी दाखिले प्वाइंट सिस्टम के आधार पर ही होंगे। बीते सालों की तरह ही नेबरहुड, सिबलिंग व एलुमनी जैसे मानकों को ही तवज्जो मिलेगी। सरकार नर्सरी दाखिले के लिए नए दिशा निर्देश सोमवार या मंगलवार को जारी कर सकती है।

हालांकि, कुछ मानकों को लेकर सरकार अभी बंटी हुई नजर आ रही है। मसलन, मुख्यमंत्री लॉटरी सिस्टम से दाखिले के पक्ष में नहीं हैं। जबकि, शिक्षा मंत्री चाहते हैं कि लॉटरी सिस्टम से दाखिले हों।

गुरुवार को दिल्ली के विभिन्न स्कूल संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने स्कूलों का पक्ष जाना और भरोसा दिलाया कि नए दिशा-निर्देशों में छात्र व अभिभावकों के साथ स्कूल के हितों का ध्यान भी रखा जाएगा।

मालूम हो कि इस साल से दाखिले में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिले में 25 फीसदी सीटों पर दाखिला दिया जाना है। पिछले साल ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 15 फीसदी सीटें आरक्षित थी, जिन पर स्कूलों को मुफ्त दाखिला देना होता है।

सूत्रों की माने तो नर्सरी दाखिलों के लिए सरकार अब स्कूलों की सहमति से प्वाइंट सिस्टम को लागू करने का मन बना रही है। इसी तरह मैनेजमेंट कोटे का लाभ भी बरकरार रखने की उम्मीद है।

अब राजधानी में मैनेजमेंट कोटे को डिस्क्रीशन (विवेक) कोटे के नए नाम से जाना जाएगा और इसके तहत सीटों का निर्धारण स्कूल खुद कर पाएंगे। नर्सरी की दाखिला प्रक्रिया को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून को लेकर आए स्पष्टीकरण के बाद से राजधानी में लॉटरी सिस्टम व प्वाइंट सिस्टम को लेकर जारी असंजस की स्थिति बन गई थी।

इसको लेकर गुरुवार को स्कूल प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व शिक्षा मंत्री अरंविदर सिंह लवली ने बैठक की है। दिल्ली सचिवालय में शाम साढ़े पांच बजे बुलाई गई इस बैठक में शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ-साथ राजधानी में सक्रिय पब्लिक स्कूल संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

सरकार की मानें तो बैठक स्कूलों का पक्ष जानने के लिए बुलाई गई थी और इसके आधार पर जल्द ही अपने निर्णय की घोषणा करेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में गाइडलाइंस पर चर्चा शुरू हुई तो मुख्यमंत्री का कहना था कि वह नहीं चाहती हैं कि दिल्ली में दाखिले के लिए लॉटरी सिस्टम लागू हो।

उन्होंने कहा कि प्वाइंट सिस्टम बेहतर है और इसमें सिबलिंग, एलुमिनी, नेबरहुड को अनिवार्य तौर पर लागू करना चाहिए। स्कूल प्रतिनिधियों में शामिल दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रमुख आरसी जैन की माने तो मुख्यमंत्री के साथ हुई इस बैठक में 25 फीसदी गरीब कोटे को लागू करने के लिए भी खास तरकीब निकाली गई है।

इसमें राजधानी के वह स्कूल जो डीडीए से रियायती दरों पर मिली जमीन पर चल रहे है उन्हें पूर्व की तरह ही 5 फीसदी स्टॉफ कोटा और 10 फीसदी गरीब कोटा में 10 फीसदी का ओर इजाफा करना होगा। इसमें सरकार की ओर से केवल 10 फीसदी गरीब कोटे के तहत आने वाले छात्रों के एवज में ही अनुदान राशि मिलेगी।

उन्होंने बताया कि अपनी जमीन पर चल रहे पब्लिक स्कूलों में 25 फीसदी गरीब कोटा लागू होगा, जिसका भुगतान सरकार करेगी। हालांकि, बैठक में इस कोटे में पांच फीसदी का स्टॉफ कोटा लागू करने पर मुख्यमंत्री ने कुछ ऐतराज जताया लेकिन बाद में इसे स्वीकार कर लिया गया।

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