पंजाब के सरकारी अस्पतालों के 112 डॉक्टर ड्यूटी से गायब हैं। इनमें से ज्यादातर कम वेतन की वजह से सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट अस्पताल चला रहे हैं। बहुत से डॉक्टर दूसरे मुल्कों के अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उक्त डॉक्टरों को राज्य के स्वास्थ्य विभाग की कोई परवाह नहीं है, क्योंकि डॉक्टर जानते हैं कि नौकरी से निकालने की विधि काफी लंबी है। अगर बाहर उनकी जेब ज्यादा भरने लग पड़ी तो विभाग को ठेंगा दिखा देंगे। अगर काम न चला तो फिर आसानी से विभाग में वापसी हो जाएगी। हालांकि विभाग हर साल डेढ़ दर्जन (महीने में डेढ़) लोगों पर कार्रवाई करता है, फिर भी डॉक्टर अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, लुधियाना-संगरूर में 18-18, फिरोजपुर 12,पटियाला 10, रोपड़ 9, गुरदासपुर 8, बठिंडा 7, बरनाला,मानसा, होशियारपुर, जालंधर में5-5, फतेहगढ़ साहिब 3, नवा शहर व मोहाली में 2, कपूरथला, मोगा,तरनतारन में1-1 डॉक्टर गैरहाजिर है। राज्य में अमृतसर, फरीदकोट और मुक्तसर ही ऐसे तीन जिले हैं, जहां एक भी डॉक्टर गैरहाजिर यानी लापता नहीं है। विभाग के निदेशक डा.जेपी सिंह का कहना है कि डॉक्टर अक्सर ही ड्यूटी से गैरहाजिर होने के बाद वापस आ आते हैं। जो डॉक्टर विभाग द्वारा बार-बार पत्र दिए जाने के बाद भी वापस नहीं आते, उन्हें पहले चार्जशीट किया जाता है और फिर नौकरी से निकाल दिया जाता है(रोहित जिंदल,बठिंडा,दैनिक जागरण,11.12.2010)।
पंजाब मे जितना बुरा हाल सरकार और व्यवस्था का है शायद कहीं नही। सरकार को चेक बाँटने से फुरसत नही और नुमाइंदों को चेक भुनाने से। व्यवस्था कौन देखे। बहती गंगा मे सरकारी कर्म्चारी भी नहा रहे हैं।
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