पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में घोटाले जांच के नाम पर दब कर रह जाते हैं। सीड घोटाले हों या बेलदार द्वारा चेक में बदलाव करके लाखों रुपये की राशि डकारने का मामला, किसी में भी सही कार्रवाई नहीं हो पाई है। जांच होते-होते तो खुद कैंपस के लोग ही मामले को भूल जाते हैं। पूर्व कुलपति डा. केएस औलख के समय में हुए धान के बीज घोटाले के आरोपी निदेशक इन दिनों फिर से कैंपस मे हैं। इस फसल को खेत में खड़े-खड़े ही बेच दिया गया था। नियम के अनुसार फसल को कटाई के बाद ही बेचा जा सकता है। धान के बीज की इस फसल को खाने वाली फसल के दाम पर बेचा गया था।
राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में सभी को क्लीन चिट मिल गई। पीआर 111 का बीज बाजार भाव 1625 की बजाय 710 रुपये प्रति क्विंटल, पीआर 106 का बीज 1250 की बजाय 640 रुपये प्रति क्विंटल तथा पीआर 116 का बीज 1250 की बजाय सात सौ रुपये प्रति क्विंटल में बेचा गया था। पीएयू ने इसमें 10 से 16 लाख रुपये के नुकसान का दावा किया, जबकि कुछ अन्य लोगों ने इस गबन को करोड़ों रुपये का करार दिया था। कुलपति ने रिसर्च सेंटर के निदेशक का तबादला गुरदासपुर कर दिया। लेकिन कुलपति बदलते ही अधिकारी एक बार फिर कैंपस में कार्यरत है। इसमंे पीएयू को हुए नुकसान की कोई भरपाई नहीं हो पाई।
रोजाना निकालता था कुछ रुपये
कंट्रोलर दफ्तर का हेड कैशियर लगातार तीन महीने तक रोजाना पीएयू के खर्च वाले रुपयों के साथ अपने लिए भी कुछ रकम निकालता रहा। ऑडिट होने पर पता लगा कि लगभग 15 लाख रुपये का गबन है। बाद में मामला पुलिस के पास पहुंचा और दो बार विजिलेंस इनक्वायरी हुई। इनक्वायरी के दौरान विजिलेंस ने रकम भी पीएयू की विभागीय जांच में मिली रकम से लगभग डेढ़ गुना पाई। यह मामला फिलहाल अदालत में है। यह मामला भी डा. केएस औलख के समय का है। हेड कैशियर को निकाल दिया गया है, लेकिन मामला जारी है। फिलहाल कोई रिकवरी नहीं हुई है।लगभग छह महीने पहले अबोहर के बेलदार ने चेक में बदलाव करके करीब सवा लाख रुपये अपने नाम करवा लिए। यह चेक उसे ड्राइवर की एलआईसी पॉलिसी के-लिए दिया गया था। उसने न सिर्फ आगे एक लगा कर 1300 रुपये का चेक सवा लाख रुपये का बना लिया बल्कि शब्द भी और लिख लिए। उसने वह चेक जमा करवा कर अपने अकाउंट में पैसे डलवा लिए तथा थोड़ा-थोड़ा करके निकालता रहा। ऑडिट के दौरान पकड़े गए इस मामले में बेलदार पर तो कार्रवाई हुई, लेकिन कच्चे मुलाजिम को भेजने वाले अधिकारी को बख्श दिया गया। इसमें भी कोई रिकवरी नहीं हो पाई है। इस संबंध में संपर्क करने कंट्रोलर अवतार चंद राणा ने कहा कि हर मामले में पीएयू ने नियम के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी की हैं। इससे ज्यादा वो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते(दैनिक भास्कर,लुधियाना,9.12.2010)।
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