केंद्र और राज्य सरकार शैक्षिक बुनियाद मजबूत करने के लिए सालाना करोड़ों रुपये खर्च करती है। बावजूद इसके प्रदेश में तकरीबन दो लाख बच्चों ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में करीब 60 हजार बच्चे स्कूल की दहलीज से दूर हैं। इनमें से ज्यादातर ने कभी स्कूल की चौखट नहीं चढ़ी। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने क ख ग सीखते ही स्कूल छोड़ दिया। बच्चों के स्कूल न जाने के मामले में लखनऊ के बाद मुरादाबाद मंडल का नंबर आता है। उत्तर प्रदेश एजुकेशन फॉर ऑल (यूपीईएफए) के हालिया हाउस होल्ड सर्वे में यह खुलासा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 1,93,775 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के 58,931 बच्चे ऐसे हैं, जो स्कूल से दूर हैं। मुरादाबाद और मेरठ मंडल में बचपन सबसे ज्यादा मायूस है। मेरठ मंडल के बुलंदशहर में 6461, बागपत में 1828, गौतमबुद्धनगर में 1551, गाजियाबाद में 3064, मेरठ में 831 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, जबकि मुरादाबाद मंडल के बिजनौर में 6559, ज्योतिबा फूलेनगर में 5669, मुरादाबाद में 1151 व रामपुर में 3204 बच्चे स्कूल नहीं गए। सहारनपुर मंडल में मुजफ्फरनगर के 4745 और सहारनपुर के 3869 बच्चे शिक्षा से महरूम हैं। अलीगढ़ मंडल के हाथरस में 2441, कांशीरामनगर के 3033, एटा के 1131 व अलीगढ़ के 7135 बच्चे सकूल की चौखट नहीं चढ़े। आगरा मंडल के फिरोजाबाद के 822, मथुरा के 1782, मैनपुरी के 451 व आगरा के 3199 बच्चे स्कूल की दहलीज से दूर हैं। लखनऊ मंडल में हालात विकट प्रदेश में लखनऊ मंडल में सबसे ज्यादा 34491 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, जबकि आजमगढ़ मंडल में 2116, इलाहाबाद में 8773, कानपुर में 5406, गोरखपुर में 11872, चित्रकूट में 4457, झांसी में 2280, देवीपाटन में 15526, फैजाबाद में 8826, बरेली में 16442, बस्ती में 7079, वाराणसी में 5796 और मिर्जापुर मंडल में 11780 बच्चे की जिंदगी में अशिक्षा का अंधेरा है(मनीष शर्मा,दैनिक जागरण,मुजफ्फरनगर,20.12.2010)।
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