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29 दिसंबर 2010

राजस्थानः4000 पद विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित

गुर्जर आंदोलनकारियों की आपत्ति के बाद राज्य सरकार ने चालू वर्ष में होने वाली एक लाख भर्तियों से अलग हटकर चार हजार पद काल्पनिक रखने के बजाय गुर्जर, रेबारी, बंजारा और गाडिया लुहार जातियों के लिए वास्तविक रूप से आरक्षित कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार को सीएमओ में मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय हुआ। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने पत्रकारों को बताया कि गुर्जर समाज की आपत्ति थी कि चार हजार पद नोशनल (काल्पनिक) नहीं रखकर आरक्षित (रिजर्व) रखे जाएं।

औचित्य पर सवाल
मंत्रिपरिषद ने गुर्जर आंदोलन जारी रखने के औचित्य पर सवाल उठाया है। धारीवाल ने कहा कि मंत्रिपरिषद ने संतोष जताया कि आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा है लेकिन जनता को हो रही दिक्कतों पर चिंता जताई गई। उन्होंने माना कि आंदोलन खत्म कराने के लिए सरकार पर जनता का दबाव है। हाईकोर्ट के फैसले के दायरे में सरकार जो कुछ कर सकती है, उसके लिए तैयार है, आंदोलन समाप्त होना चाहिए। हम वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण हल चाहते हैं। एक सवाल के जवाब में धारीवाल ने इतना ही कहा कि हम फोर्स काम में नहीं लेना चाहते। आंदोलन से उद्योग-व्यापार को घाटा हो रहा है।

आज एनसीआर बंद
गुड़गांव . गुर्जर आंदोलन के बीच हरियाणा में भी समाज के प्रतिनिघि पंचायत करने में जुटे हैं। आगामी 29 दिसम्बर को फरीदाबाद में गुर्जर भवन में एनसीआर के सभी गुर्जरों की पंचायत होगी जिसमें आरक्षण को लेकर एनसीआर के गुर्जर समाज का रूख स्पष्ट किया जाएगा।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को राज्यपाल शिवराज पाटिल को गुर्जर आंदोलन की ताजा स्थिति और राज्य सरकार के प्रयासों से अवगत कराया। हालांकि शाम को राजभवन में हुई करीब एक घण्टे की इस मुलाकात का आघिकारिक खुलासा नहीं किया गया।

भर्ती रहेगी जारी, ईबीसी का भी सर्वे

धारीवाल ने स्पष्ट किया कि एक लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। इसमें गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण मिलेगा। इन एक लाख नौकरियों से अलग हटकर चार हजार पद विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे। अदालती निर्णय पक्ष में आते ही चार हजार नौकरियां गुर्जर, रेबारी, बंजारा और गाडिया लुहार जातियों को ही दी जाएंगी।

धारीवाल ने बताया कि सरकार विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) के साथ ही आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) का सर्वे भी कराएगी। उन्होंने साफ किया कि गुर्जरों की मांग जल्दी सर्वे की है लेकिन दो महीने में किसी भी कीमत पर वैज्ञानिक आधार पर सर्वे की कार्रवाई पूरी नहीं हो सकती। हाईकोर्ट के निर्णयानुसार राज्य सरकार एक साल के भीतर पूरी कार्रवाई करने को तैयार है। गुर्जरों को विश्वास में लेकर ही सर्वे एजेंसी तय की जाएगी।
वार्ता के लिए नहीं आए गुर्जर

बयाना . गुर्जर आंदोलन मंगलवार को नौवें दिन भी जारी रहा। गुर्जरों ने वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। बयाना गए तीन आईएएस अफसरों में से दो जयपुर लौट आए। सरकार के फैसले से गुर्जर नेताओं को अवगत कराया जा रहा है। भरतपुर कलक्टर कृष्ण कुणाल ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार सर्वे शुरू कर दिया है।

इस बीच, सरकार ने गुर्जर आंदोलन प्रभावित चार जिलों में कलक्टर के साथ मॉनीटरिंग के लिए आईएएस अघिकारी भी लगाए हैं। कुलदीप रांका को करौली, अखिल अरोड़ा को अजमेर, भवानीसिंह देथा को टोंक और नरेशपाल गंगवार को दौसा भेजा गया है। बयाना में डटेप्रमुख स्वायत्त शासन सचिव जी. एस. संधु मंगलवार सुबह कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से मिले और वार्ता के लिए प्रतिनिघिमण्डल भेजने का आग्रह किया। इस पर आंदोलनकारी दो गुटों में बंट गए।

एक गुट ने प्रतिनिघिमण्डल भेजने का विरोध किया और मांग की कि जब मंत्री ट्रेक पर आकर वार्ता कर सकते हैं तो अफसर क्यों नहीं। इस बीच कुछ सदस्यों ने यह बात समाज के बीच रखकर फैसला करने की बात की। इस पर समाज के लोगों ने प्रतिनिघिमण्डल भेजने से इनकार कर दिया और वार्ता नहीं हो सकी। गुर्जरों ने पहरेदारी के लिए दो समूह भी बना दिए, जिन्हें शेर और शेरनी नाम दिया गया है।

हक लेकर ही लौटेंगे : बैंसला
आंदोलन से जुड़े नेताओं व ट्रेक पर मौजूद समाज की राय जानने के बाद बैंसला ने घोषणा की कि हम हमारा हक लेकर ही ट्रेक से उठेंगे। खाली हाथ नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि ऎस मौकों पर नेताओं की भरमार हो जाती है और यहां भी ऎसा ही हो रहा है,लेकिन जहां नेता ज्यादा हो जाते हैं,वहां कुछ खास हाथ नहीं लगता है। उन्होंने नेताओं से एक सुर में बोलने का आग्रह किया(राजस्थान पत्रिका डॉटकॉम,जयपुर,29.12.2010)।

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