किसी भी समाज में आने वाले सकारात्मक बदलाव का आकलन वहां की शिक्षा में हुए विकास से किया जाता है। इस लिहाज से वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार की अब तक की उपलब्धि चिंताजनक ही है। शिक्षा विभाग की 40 योजनाओं में नवंबर 2010 तक कुछ भी राशि खर्च नहीं हुई है। 24 योजनाओं में पूर्णत: या कुछ न कुछ राशि आवंटित कर दी गई थी। इनमें पुस्तकालयों के विकास से लेकर स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं भी शामिल हैं। विकास आयुक्त सुशील कुमार चौधरी को सौंपे गए प्रतिवेदन के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा में गैर अनुदानित स्कूलों को सपोर्ट देने तथा स्कूल हेल्थ एंड हाइजिन के लिए 50-50 लाख पर अधिकारी कुंडली मारे बैठे हैं। इस राशि के स्वीकृति आदेश तो जारी किए गए, लेकिन आवंटन आदेश अब तक जारी नहीं हुआ। नि:शुल्क पुस्तक वितरण के लिए 13 करोड़, मेरिट स्कालरशिप के लिए 1 करोड़ 30 लाख में 83 लाख 8 हजार, टीचर ट्रेनिंग कालेज के लिए 4 करोड़ में 72 लाख 95 हजार, सेमिनार आयोजन के लिए 25 लाख में 5 हजार 50, शिक्षक सम्मान के लिए 80 लाख में 73.91 लाख आवंटित कर दिए गए हैं, लेकिन अब तक मेरिट स्कालरशिप में ही 6 लाख रुपये खर्च हो सके हैं। बाकी जस का तस है। माध्यमिक शिक्षा में कुल बजट 120 करोड़ 55 लाख का है। इसमें 106 करोड़ 55 लाख रुपये के स्वीकृति आदेश जारी किए गए हैं। आवंटन की बात करें तो विभिन्न योजनाओं में 85 करोड़ 06 लाख 94 हजार रुपये के आवंटन आदेश जारी किए गए हैं। जिन योजनाओं में स्वीकृति आदेश नहीं मिला है, उनमें कंप्यूटर शिक्षा छात्रावास निर्माण महत्वपूर्ण हैं(नीरज अम्बष्ठ,दैनिक जागरण,रांची,२६.१२.२०१०)।
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