इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि याचिकाएं खारिज होने के बाद भी जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा अध्यापकों को वेतन भुगतान जारी रखना सरकारी धन की लूट है। न्यायालय ने कहा कि प्रदेश सरकार उन सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करे जो ऐसे अध्यापकों को वेतन का भुगतान जारी रखे हुए हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसयू खान ने जौनपुर के सियाराम यादव व अन्य लोगों की याचिका पर दिया है। न्यायालय ने पूछा कि अध्यापकों को अंतरिम आदेश से वेतन मिल रहा था। इसके बाद याचिकाएं अदम पैरवी में खारिज कर दी गई तो वेतन का भुगतान कैसे किया जा रहा है? न्यायालय ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता से कहा कि ऐसे अध्यापकों की जिलेवार सूची तैयार की जाए जिन्हें अंतरिम आदेश से वेतन दिया जा रहा था और अब जिनकी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। साथ ही ऐसे अध्यापकों की भी जानकारी दी जाए जिनमें शिक्षक पिछले 10 वर्षोसे अंतरिम आदेश से वेतन प्राप्त कर रहे हैं और याचिकाएं लंबित हैं।
न्यायालय ने यह भी पूछा कि ऐसे कितने अध्यापक हैं जिनके वेतन का भुगतान इस कारण रोक दिया गया है कि वे अपनी याचिका के लंबित रहने का साक्ष्य नहीं दे पाए हैं। न्यायालय ने याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 13 दिसंबर नियत की है। इस दिन राज्य सरकार को मांगी गई सूचनाएं न्यायालय को देनी हैं(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.12.2010)।
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