इस बार नर्सरी दाखिले के दौरान पब्लिक स्कूल अभिभावकों पर प्रॉस्पेक्टस लेने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। लेकिन, बीते वर्ष की तरह दाखिले के दौरान स्कूलों के रवैये में बदलाव को लेकर अभिभावक अभी संशय में हैं। इस फैसले से स्कूलों को करीब पांच हजार करोड़ रुपए की सालाना आमदनी नहीं हो पाएगी।
नर्सरी दाखिलों के दौरान पब्लिक स्कूल अभिभावकों को 25 रुपए के आवेदन फॉर्म के साथ 50 से 500 रुपए तक का प्रॉस्पेक्टस भी जबरदस्ती बेचते हैं। वर्ष 2008 में ऐसोचैम सोशल डवलपमेंट फाउंडेशन के रिसर्च में पता चला कि दिल्ली में एक प्रॉस्पेक्टस की कीमत औसतन 300 रुपए रही।
एक अभिभावक ने दाखिला प्रक्रिया के दौरान करीब एक हजार रुपए खर्च किए। 2000 से 2008 के बीच यह खर्च औसतन 5,000 रुपए प्रति अभिभावक पहुंच गया है।
एसोचैम अधिकारियों की मानें तो जिस तरह से दाखिला प्रक्रिया में आवेदन पर लगातार खर्च बढ़ रहा है, वह मैनेजमेंट व इंजीनियरिंग संस्थानों की आवेदन प्रक्रिया पर होने वाले खर्च को भी मात दे रहा है। बीते साल की तरह इस बार भी स्कूल शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइंस को मानने की बात कर रहे हैं।
फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल के प्रमुख आरपी मलिक कहते हैं, स्कूल कभी भी अभिभावकों पर प्रॉस्पेक्टस खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाते हैं और इस बार भी ऐसा नहीं किया जाएगा।
राजधानी के विभिन्न स्कूलांे की एक्शन कमेटी के सचिव डीके बेदी ने कहा कि आवेदन फॉर्म की कीमत 25 रुपए ही रहेगी। साथ में प्रॉस्पेक्ट्स खरीदना अभिभावकों की इच्छा पर निर्भर करेगा, क्योंकि स्कूल महंगाई के इस दौर में किसी भी अभिभावक पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालने के पक्ष में नहीं है।
इस बाबत अभिभावकों के फोरम एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम के संस्थापक सुमित वोहरा का कहना था कि हर साल ऐसी ही बातें होती हैं। जब अभिभावक फॉर्म के साथ प्रॉस्पेक्ट्स खरीदने से इंकार करते हैं तो उनके साथ र्दुव्यवहार किया जाता है। सुमित बताते हैं कि उनके फोरम पर हर साल ऐसी सैकड़ों शिकायते आती हैं और जब शिकायतें शिक्षा निदेशालय को भेजी जाती है तो स्कूल सिरे से अपनी ज्यादतियों को स्वीकार करने से इंकार कर देते हैं(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,25.12.2010)।
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