मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

25 दिसंबर 2010

शिक्षा का अधिकार क़ानूनःनिजी स्कूल हुए लामबंद,नहीं लागू करेंगे 25 फीसदी गरीबी कोटा

शिक्षा का अधिकार कानून के खिलाफ राजधानी ही नहीं बल्कि देश भर के निजी स्कूल एकजुट हो गए हैं। उन्होंने ऐलान किया कि वे किसी भी हालत में आरटीइ के तहत 25 फीसदी गरीबी कोटा लागू नहीं करेंगे। सरकार ने जबरदस्ती की तो स्कूल बंद कर चाबी सरकार को सौंप देंगे। देश भर के निजी स्कूल के प्रतिनिधि इंडिया इस्लामिक सेंटर में शुक्रवार को आयोजित पंचायत में आरटीइ के तहत लागू 25 फीसदी गरीबी कोटे पर बोल रहे थे।
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गई कोई भी योजना खराब नहीं होती है। अगर इससे परेशानी है तो स्कूल अपना पक्ष रखने का हकदार हैं। वे सरकार के अंग हैं लिहाजा वह भी आरटीइ के पालन के बारे में सोचेंगे। निजी स्कूलों के ग्रुप एक्शन कमेटी के बैनर तले आयोजित पंचायत में जेएनयू के कुलपति प्रो. बीबी भट्टाचार्य ने कहा किसरकार को निजी स्कूलों को हो रही परेशानी को देखते हुए बीच का रास्ता निकालना चाहिए। एक्शन कमेटी के अध्यक्ष एसके भट्टाचार्य, महासचिव एमएस रावत, पब्लिक स्कूल फेडरेशन के चेयरमैन आर.पी. मलिक, दिल्ली पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि निजी स्कूल आरटीइ लागू करने को तैयार नहीं है। स्कूलों द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पर सात जनवरी को सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि हम स्कूल बंद कर देंगे लेकिन किसी भी सूरत में 25 फीसदी गरीबी कोटा लागू नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार गरीब बच्चों को शाम की शिफ्ट में पढ़ाने की व्यवस्था करे। इसके लिए स्कूल संसाधन व भवन भी देने को तैयार है। लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार की है और सरकार को चाहिए कि अपने स्कूलों की संख्या, उसकी क्षमता, व्यवस्था बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाए। बीते दस सालों से दिल्ली में दस फीसदी स्कूल नहीं खुले हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर केवल निजी स्कूलों के भरोसे सरकार आरटीइ क्यों लागू करना चाहती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,25.12.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. ओह!
    कुछ नहीं भला होने वाला इस देश में। सब इन्हीं पैसे वालों के हाथ में रहेगा।

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।