प्रदेश में उपयुक्त और पर्याप्त जमीन आवंटन नहीं हो पाने से अजमेर स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक अन्य राज्यों में जाकर शोधकार्य करने की तैयारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है संस्थान में 20 वैज्ञानिक मसालों पर शोधकार्य कर रहे हैं। प्रयोगशाला में मसाला बीजों की उन्नत किस्में विकसित करने के बाद उनको खेतों में उगाकर उनकी उत्पादकता जानने के लिए उनके पास समुचित जमीन नहीं है। केन्द्र के शीर्ष अधिकारियों ने राज्य सरकार से कई बार सम्पर्क 20 से 25 हैक्टयर और जमीन उपलब्ध कराने की प्रार्थना की, लेकिन उनके प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
10 सालों से अटका मामला
दस साल पहले तत्कालीन सरकार ने अजमेर में केन्द्र की स्थापना के वक्त संस्थान को 25 हैक्टेयर जमीन आवंटित की थी और जल्द ही 25 हैक्टेयर जमीन और आवंटित करने का वादा किया था। बाद की सरकारें वादे से मुकर गईं। हाल में सरकार ने जयपुर के पास 15 हैक्टेयर जमीन संस्थान को आवंटित तो कर दी, लेकिन केन्द्र से दूरी होने के कारण संस्थान को जमीन का उपयोग सुनिश्चित करने में परेशानी आ रही है।
गुजरात व आंध्रप्रदेश दावेदार
संस्थान के शोध केन्द्र को हथियाने के लिए गुजरात व आंध्रप्रदेश के राज्यों ने कोशिशें तेज कर दी हैं। गुजरात सरकार दांतीवाड़ा स्थित राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय में 50 हैक्टेयर जमीन देने को तैयार है। आंध्रप्रदेश सरकार हैदराबाद में शोध केन्द्र की शाखा शुरू करने के लिए 25 हैक्टेयर जमीन देने के लिए राजी हो गई है।
इनका कहना है-
- समुचित जमीन नहीं मिलने से केन्द्र द्वारा विकसित किस्मों के परीक्षण में दिक्कतें आ रही हैं। जमीन के संबंध में गुजरात व आंध्रप्रदेश सरकारों से बात हुई है। वह जमीन उपलब्ध कराने को तैयार है। सही जमीन मिलने पर शोध शाखा वहां स्थापित करके कम से कम 10 वैज्ञानिकों को वहां लगा देंगे।
डॉ. एमएम अनवर, निदेशक, राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,24.12.2010)
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