एक जमाना था, जब लॉ ग्रेजुएट के लिए सीमित विकल्प थे- वकालत करना या अधिक से अधिक जज बन जाना। अब यहां भी बहुत से रास्ते खुल गए हैं। कॉरपोरेट लॉयर, एलपीओ प्रोफेशनल, लॉ टीचिंग, लॉ रिपोर्टर, टेक्सेशन लॉयर, लेबर लॉयर जैसे न जाने कितने करियर विकल्प काले कोट के साथ जुड़ गए हैं। अब यह भी एक हॉट करियर है। जॉब के लिए भी सिर्फ अदालतों में ही नहीं, सरकारी विभागों, प्राइवेट सेक्टरों, खासकर मल्टीनेशनल कंपनियों में काफी संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं पर अशोक सिंह की रिपोर्टः
वकालत के पेशे की बात करते ही जेहन में काला कोट पहने और अदालत में जोरदार तर्क देते व्यक्ति की फिल्मी सी छवि उभर कर सामने आ जाती है। कमोबेश सिर्फ यही पहचान है अधिकांश लोगों के मन में एक वकील की। लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि वकालत की डिग्री के बाद सिर्फ एक वकील के तौर पर ही प्रेक्टिस करना और मुकदमे लड़ना अथवा ज्यादा से ज्यादा जज बन पाने का ही करियर विकल्प नहीं है, बल्कि इसके अलावा कितने ही नये ऑप्शन्स इस कड़ी में जुड़ चुके हैं। इनमें प्रमुख रूप से कॉरपोरेट लॉयर, एलपीओ प्रोफेशनल, लॉ टीचिंग, लॉ रिपोर्टर, टेक्सेशन लॉयर, लेबर लॉयर इत्यादि का जिक्र किया जा सकता है। जॉब संभावनाओं तथा लॉ पर आधारित नये पेशों के अस्तित्व में आने के कारण युवाओं के पसंदीदा करियर विकल्पों में अब लॉ का प्रोफेशन शुमार हो चुका है।
वकालत की पढ़ाई में भी हाल के वर्षों में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिला है। पहले एलएलबी कोर्स का विकल्प ग्रेजुएशन के बाद ही उपलब्ध हुआ करता था, पर अब यह बीएएलएलबी (ऑनर्स) के नाम से 10+2 के बाद पांच वर्षीय कोर्स के तौर पर तमाम यूनिवर्सिटीज में उपलब्ध है। इसमें भी एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की शर्त है। इसी क्रम में स्पेशल लॉ यूनिवर्सिटीज और संस्थान भी विभिन्न राज्यों में खोले गये हैं। इनमें खासतौर पर नलसार, हैदराबाद, हिदायातुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर, एनयूजेएस, कोलकाता, एनएलयू, जोधपुर, एनएलआईयू, भोपाल आदि का उल्लेख किया जा सकता है। इन सभी में एंट्रेंस एग्जाम के जरिए ही दाखिले दिए जाते हैं और प्राय: कैम्पस प्लेसमेंट के माध्यम से जॉब्स की ऑफर मिल जाती है।
इन पांच वर्षीय कोर्स के अलावा ट्रेडिशनल एलएलबी पाठय़क्रम फुलटाइम और पार्ट टाइम कोर्स के रूप में भी उपलब्ध है। इनमें भी एडमिशन का आधार ग्रेजुएशन के बाद प्रवेश परीक्षा है। यूनिवर्सिटीज में तो कोरस्पॉन्डेन्स कोर्स के तौर पर भी यह कोर्स उपलब्ध है। लेकिन इस तरह के लॉ कोर्स के आधार पर कोर्ट में वकालत करने की इजाजत बार कौंसिल ऑफ इंडिया से नहीं मिलती। इसकी उपयोगिता सिर्फ एकेडमिक लक्ष्यों की प्राप्ति तक या नौकरी में प्रमोशन तक ही सीमित है। जबकि नियमित कोर्स की खासियत यह है कि इस दौरान स्टूडेंट्स को नामी वकीलों के लेक्चर सुनने और उनसे मिलने का मौका मिलता है। इसके अलावा आर्टिकलशिप के लिए भी ऐसे ही नामी लॉयर के साथ काम सीखने का अवसर भी मिल पाता है।
स्पेशलाइजेशन
इस प्रोफेशन में भी अन्य पेशे की तरह स्पेशलाइजेशन का काफी महत्त्व है। इन विधाओं में क्रिमिनल, सिविल, टेक्स, कॉरपोरेट, लेबर, इंटरनेशनल लॉ, आईपीआर, पेटेंट, कॉपीराइट, कांस्टिटय़ूशनल लॉ, साइबर लॉ, ह्यूमन राइट्स आदि का जिक्र किया जा सकता है।
व्यक्तित्व
एक सफल वकील बनने के लिए जरूरी है जबरदस्त विश्लेषण क्षमता, बारीकियों को समझने को योग्यता, तार्किक तरीके से अपने पक्ष को पेश करने की काबिलियत, केस फाइलिंग में नोटिंग और ड्राफ्टिंग करने की निपुणता, संयमी व्यक्तित्व, अदालत में बड़े ही नपे-तुले शब्दों में मामले को जज को समझाने की जादूगरी तथा विपक्ष के वकील के तर्को को प्रभावी तरीके से काटने की चतुराई। लॉ का अपने क्लाइंट के पक्ष में कैसे इंटरप्रिटेशन करना है, यह कला तो सर्वाधिक आवश्यक है। अच्छे वकील को प्रेजेंस ऑफ माइंड तथा कॉमन सेन्स की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
कॉरपोरेट लॉयर
इनका काम कंपनी के लीगल मामलों को देखना, ड्राफ्ट तैयार करना, कोर्ट में पेश होने वाले वकील को ब्रीफिंग देना, डॉक्युमेंट्स तैयार करना, कॉरपोरेट लॉ के बारे में मैनेजमेंट को सचेत रखना आदि है। इनकी शुरुआती सेलरी 20 हजार रुपये या अधिक प्रति माह हो सकती है, जो बाद में अनुभव के साथ बढ़ती चली जाती है।
लिटिगेशन लॉयर
ये बाकायदा कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रेक्टिस करने वाले वकील होते हैं। इनकी फिक्स्ड इनकम तो सेलरी के तौर पर नहीं होती, लेकिन ख्याति हो जाने पर मुंहमांगी फीस इन्हें प्रति पेशी के हिसाब से मिलनी शुरू हो जाती है, जो एक दिन चंद मिनट पेश होने की एवज में काफी मोटी रकम होती है।
लॉ फर्म्स
आज के इस दौर में वकीलों ने भी कमाई के लिए ऐसे ही गुरुमंत्र को अपना लिया है। इस क्रम में कई वकील मिलकर लॉ पार्टनरशिप फर्म बना लेते हैं। इनमें विभिन्न विशेषज्ञता वाले वकील हिस्सेदार होते हैं। ये बड़े कॉरपोरेट्स या बड़े घरानों के लीगल एडवाइजर बन जाते हैं। इस तरह एक नियमित फीस इन्हें मिलती रहती है।
एलपीओ
इसका मतलब है लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिग। इसके तहत विदेशी कंपनियों के लीगल या लॉ से संबंधित काम को देसी कंपनियां कहीं कम फीस के एवज में करती हैं। इनके कामों में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग तैयार करना, लीगल रिसर्च कर समस्त डीटेल्स उपलब्ध करवाना, कॉन्ट्रेक्ट नोट्स बनाना आदि हैं।
जुडिशियरी सर्विस
इसके तहत मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर, हाई कोर्ट जज आदि बना जा सकता है। इसके लिए दो तरह की परीक्षा की व्यवस्था है। पहली परीक्षा के लिए सिर्फ एलएलबी की डिग्री होना पर्याप्त है और इसके जरिए जूनियर स्तर के न्यायिक अधिकारी के पदों तक पहुंचा जा सकता है, जबकि दूसरे वर्ग की परीक्षा के बाद इस वर्ग के सीनियर पदों को तुरंत हासिल किया जा सकता है। दूसरे वर्ग की परीक्षा में शामिल होने के लिए कम से कम सात वर्षो का वकील के रूप में अनुभव होना अनिवार्य शर्त है। प्रत्येक प्रदेश की अपनी अलग इस तरह की चयन परीक्षा होती है।
मीडिया में लीगल रिपोर्टिग
आजकल प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों ही मीडिया में लीगल और क्राइम संबंधित रिपोर्टिग काफी होती है। इस प्रकार की रिपोर्टिग के लिए लॉ के जानकार व्यक्ति का रिपोर्टर के तौर पर होना जरूरी है, नहीं तो अर्थ का अनर्थ तथा अदालत की अवमानना का भी भागी होना पड़ सकता है। ऐसे में लीगल पहलुओं के जानकार लोगों को ही आमतौर से नियुक्त किया जाता है।
वकीलों के विभिन्न स्पेशलाइजेशन
सिविल लॉयर
इसके तहत विभिन्न डिस्प्यूट्स, जिसमें संपत्ति, तलाक, कायदा-कानून से जुड़े मामले आते हैं। सिविल लॉयर ऐसे मामले देखते हैं।
टेक्स लॉयर
इनकम टेक्स, सेल्स टेक्स, एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी आदि मामलों की सुनवाई के कामकाज को इन विधाओं के एक्सपर्ट वकील डील करते हैं।
क्रिमिनल लॉयर
सभी तरह के अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान इसी तरह की ट्रेनिंग वाले वकीलों की जरूरत पड़ती है।
लेबर लॉयर
श्रम से जुड़े मामलों, कंपनियों की स्ट्राइक तथा वेतन से संबंधित मसलों की समस्त अदालती कार्यवाही के लिए प्राय: सभी कंपनियों को लेबर लॉयर की शरण में जाना पड़ता है।
पेटेंट लॉयर
आविष्कारक या नयी खोज करने वाली कंपनियों के पेटेंट अधिकार सुरक्षित करवाने के अलावा चोरी करने वाले से ज़ुर्माना दिलवाने के लिए कोर्ट में लड़ना इनके दायित्वों में आता है।
साइबर लॉयर
साइबर क्राइम्स की बढ़ती वारदातों के कारण अब हमारे देश में इस तरह के लॉयर की मांग तेजी से बढ़ रही है।
कॉमन लॉ एडमिशन टैस्ट
देश के प्रमुख लॉ इंस्टीटय़ूट्स के 5 वर्षीय बीएएलएलबी कोर्स में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर चयन परीक्षा का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है। इस परीक्षा में देश के 11 प्रमुख लॉ ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट्स में एडमिशन दिया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए 10+2 स्तर पर कम से कम 50 प्रतिशत अंकों का होना जरूरी है। कुल 200 अंकों की इस परीक्षा में 200 ही प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों में अंग्रेजी (40), करेंट अफेयर्स (50), एलीमेन्ट्री गणित (20), लीगल एप्टीटय़ूड (45) तथा लॉजिकल रीजनिंग (45) पर आधारित प्रश्न होते हैं। अधिक जानकारी के लिए www.clat.ac.in देखें(अशोक सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,30.11.2010)।
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