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29 दिसंबर 2010

राजस्थानःनहीं रुकेंगी एक लाख भर्तियां

सरकार ने गुर्जर आंदोलनकारियों को साफ तौर पर संदेश दिया है कि भर्तियां नहीं रोकी जाएंगी। इन एक लाख नौकरियों में विशेष पिछड़ा वर्ग को 1 फीसदी आरक्षण तत्काल दे दिया जाएगा। इन नौकरियों के अतिरिक्त 4 प्रतिशत कोटा अलग से रखा जाएगा, जिसे विशेष पिछड़ा वर्ग (केवल 4 जातियों) से तब भरा जाएगा, जब निर्धारित प्रक्रिया के बाद इनका 4 प्रतिशत आरक्षण लागू हो जाएगा।

इसके लिए विशेष भर्ती अभियान चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में यह फैसला किया गया। मंत्री परिषद ने अब गुर्जर आंदोलनकारियों से अपील की है कि हाईकोर्ट के फैसले के दायरे में मोटे तौर पर उनकी सभी मांगें सरकार ने मान ली हैं, इसलिए उन्हें तत्काल आंदोलन समाप्त कर देना चाहिए। उधर कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला ने कहा है कि सरकार समस्या का समाधान करने में विफल रही है, इसलिए अब इसमें राज्यपाल को दखल देना चाहिए।

संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि विशेष पिछड़ा वर्ग के साइंटिफिक डाटा कलेक्शन का काम दो माह में करना संभव नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार एक साल में सरकार यह काम पूरा कर लेगी। वैसे भी सरकार ने आरक्षण लागू करने में दो माह का समय देने की बात कही है। हाईकोर्ट के फैसले के बाहर सरकार नहीं जा सकती है।


उन्होंने कहा कि मंत्री परिषद ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि गुर्जरों का आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है, लेकिन इस बात पर दु:ख भी व्यक्त किया कि इसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग और व्यवसायों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। पर्यटन व्यवसाय में भी 40 प्रतिशत की कमी आई है। 

सरकार के फैसले और उनके मायने

1. 4 प्रतिशत नौकरियां सुरक्षित रखेंगे

सरकार ने कहा है कि गुर्जरों को नोशनल शब्द पर आपत्ति थी, इसलिए अब इस शब्द को हटा दिया गया है। अब उनके लिए 4 प्रतिशत नौकरियां सुरक्षित रखी जाएंगी। यह कोटा एक लाख नौकरियों के अलावा होगा। 

हकीकत क्या

अब भी काल्पनिक ही रहेंगे पद: सरकार 4 प्रतिशत पद नोशनल रखे जाने की घोषणा पहले भी कर चुकी है। गुर्जरों की आपत्ति के बाद नोशनल (काल्पनिक) शब्द हटा दिया है, लेकिन पद अब भी नोशनल (काल्पनिक) ही रहेंगे। यानी 1 लाख पदों पर भर्ती करनी है तो भरे इतने ही जाएंगे। 4000 अतिरिक्त पद खाली बताए जाएंगे। आरक्षण मिला तो ये पद भरे जाएंगे, वर्ना पद खत्म। 

2. एसबीसी के साथ ईबीसी का भी सर्वे

राज्य मंत्री परिषद ने फैसला किया है कि विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) के साथ साथ आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) का भी सर्वे साथ करवाया जाएगा, ताकि अन्य जातियों को भी संतुष्ट किया जा सके।

मायने क्या

खड़ा हो सकता है नया विवाद: सरकार को साइंटिफिक डाटा कलेक्शन के लिए एसबीसी और ईबीसी का नए सिरे से सर्वे कराना होगा। इसके आधार पर हो सकता है कुछ अन्य जातियां भी ओबीसी से एसबीसी में आने के लिए पात्रता प्राप्त कर लें या मांग कर लें। ऐसी स्थिति में एसबीसी में जातियों की संख्या बढ़ने से गुर्जरों के हित प्रभावित होंगे। इसके लिए वे संभवत: तैयार नहीं होंगे। 

3. डाटा कलेक्शन में लेंगे गुर्जरों की राय

मंत्री परिषद ने कहा है कि साइंटिफिक डाटा जुटाने के लिए जो एजेंसी तय की जाए, वह आंदोलनकारियों की राय से ही तय की जानी चाहिए। सरकार एक साल में सर्वे का काम करा लेगी।

असर क्या

...तो जिम्मेदार होंगे गुर्जर: अगर डाटा कलेक्शन की एजेंसी चयन में आंदोलनकारियों की राय ली जाती है तो देरी होने के लिए सरकार गुर्जरों को ही जिम्मेदार ठहरा सकती है। चूंकि जनगणना में ही काफी समय लगता है, इसलिए यह एजेंसी भी अधिकतम समय लेने का प्रयास करेगी। पहले भी गठित चौपड़ा कमेटी का कार्यकाल बढ़ाना पड़ा था(दैनिक भास्कर,जयपुर,29.12.2010)।

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