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04 दिसंबर 2010

सिविल सेवा के नये प्रारूप पर एक नज़र

भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्रों के बीच इन दिनों एक शब्द काफी चर्चा का विषय है, जिसका नाम है सी-सैट यानी सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट। यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) ने अगले वर्ष आयोजित सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा के सिलेबस और पैटर्न में कई बदलाव किए हैं, जिसके बाद इसे सीसैट का नाम दिया गया है। यूपीएससी ने नया सिलेबस तो जारी कर दिया है, लेकिन प्रीलिम्स का नोटिफिकेशन अगले वर्ष 19 फरवरी को जारी करेगी। ऐसे में प्री की तैयारी के लिए कम समय मिलेगा। इसलिए अभी से इन बदलावों को समझने के साथ यह भी जानना चाहिए कि अब यूपीएससी अभ्यर्थियों में किस तरह का टैलेंट खोज रही है।

प्रारंभिक परीक्षा - सीसैट
अब सिविल सेवा परीक्षा प्रीलिम्स में दो ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न-पत्र होंगे- पहला सामान्य अध्ययन और दूसरा सामान्य अभिरुचि यानी एप्टिट्यूड टेस्ट। इन दोनों पेपर्स को सामूहिक रूप से सीसैट का नाम दिया गया है। दोनों प्रश्न-पत्र 200-200 अंक और दो-दो घंटे के होंगे।

प्रथम प्रश्न-पत्र

नए पाठ्यक्रम के अनुसार पहले प्रश्न-पत्र में इन विषयों से प्रश्न होंगे - समसामयिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व, भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, भारत एवं विश्व का भूगोल- भौतिक, सामाजिक और आर्थिक, भारतीय राजव्यवस्था व शासन-संविधान, राजनैतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकार संबंधी मुद्दे आदि, आर्थिक व सामाजिक विकास - सतत विकास, गरीबी, समावेश जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र संबंधी पहलू, सामान्य विज्ञान आदि। इसके अलावा अब पर्यावरण, जैव-विविधता, जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दों से भी प्रश्न होंगे।


द्वितीय प्रश्न-पत्र
अब 300 अंकों के वैकल्पिक विषय के बजाय 200 अंकों का सामान्य अभिरुचि का प्रश्न-पत्र होगा, जो सभी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य होगा। इसमें कॉम्प्रिहेंशन, कम्युनिकेशन व इंटरपर्सनल स्किल्स, तार्किक एवं विश्लेषणात्मक क्षमता, निर्णय लेना या समस्या समाधान, सामान्य मानसिक क्षमता, 10वीं कक्षा के स्तर की बुनियादी आंकिक क्षमता (संख्या एवं उनका संबंध, ऑर्डर ऑफ मैग्नीट्यूड आदि) और डाटा इंटरप्रिटेशन (चार्ट्स, ग्राफ, टेबल्स, डाटा सफिशियन्सी आदि) शामिल हैं। 10वीं स्तर की अंग्रेजी भाषा में कॉम्प्रिहेंशन स्किल्स का भी टेस्ट होगा। इस नए प्रश्न-पत्र में उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा अभ्यास और अपनी समझ विकसित करने की जरूरत है। नए पाठ्यक्रम में प्रश्नों के 10वीं स्तर के होने की बात कही गई है। जाहिर है इस पेपर के जरिए आपके एप्टीट्यूड की जांच होगी। स्पीड और एक्यूरेसी के लिए अच्छी प्रैक्टिस करनी होगी। विषय की सैद्धांतिक और स्पष्ट समझ से ही कामयाबी मिलेगी।

बदलनी होगी रणनीति
नए पाठ्यक्रम के मद्देनजर प्रतियोगियों को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि यूपीएससी इन बदलावों के जरिए किस तरह की योग्यता भविष्य के सिविल सर्वेंट्स में देखना चाहती है। यानी आईएएस की योग्यता और समझ का पैमाना क्या होना चाहिए? वो किसी भी समस्या का समाधान किस ढंग से करता है? आयोग किसी भी प्रतियोगी की निर्णयात्मक क्षमता की जांच करेगा। हिंदी माध्यम के छात्रों को पहले मेन्स में अंग्रेजी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें प्री में इसका सामना करना होगा। ऐसे में सामान्य अध्ययन के साथ अंग्रेजी की तैयारी की रणनीति भी बनानी होगी। पूर्व के वर्षों में सामान्य अध्ययन के बजाय वैकल्पिक विषयों को छात्र अपेक्षाकृत अधिक प्राथमिकता देते थे, क्योंकि वैकल्पिक विषय 300 अंक का होता था और सामान्य अध्ययन 150 अंक का। अब सामान्य अध्ययन में प्रत्येक खंड को गंभीरता से लेना होगा।

प्रतियोगियों के बीच कुछ भ्रांतियां हैं कि बदलाव से मैथ्स पृष्ठभूमि के छात्रों को ही फायदा होगा। लेकिन मानसिक और तार्किक क्षमता सहित गणित से जुड़े प्रश्न पहले भी प्रीलिम्स के सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र में पूछे जाते रहे हैं। इनका विश्लेषण करने से प्रश्नों की प्रकृति व झुकाव को समझने में मदद मिलेगी।

यूपीएससी आने वाले कुछ दिनों में सीसैट संबंधी मॉडल पेपर जारी करेगी। इससे भी आपको रीजनिंग और गणित से जुड़े प्रश्नों का काफी आइडिया मिलेगा। एक फायदा यह हुआ है कि अब सिविल्स प्रतियोगियों को तैयारी का फायदा बैंकिंग और एसएससी जैसी परीक्षाओं में भी होगा। यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि केवल प्रारंभिक ही नहीं, बल्कि मेन्स और इंटरव्यू के दौरान भी आपके एप्टीट्यूड को परखा जा सकता है(शिवराम मीणा,अमर उजाला,1.12.2010)।

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