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04 दिसंबर 2010

जाट आरक्षण पर उड़ी हरियाणा सरकार की नींद

राजनीतिक रूप से जाट आरक्षण के संवेदनशील मुद्दे पर संसद में समाज कल्याण राज्य मंत्री डी नैपोलियन के लिखित जवाब ने हरियाणा सरकार की नींद उड़ा दी है। मंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि केंद्र सरकार के पास जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने के लिए हरियाणा सरकार से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हुड्डा सरकार तत्काल डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुट गई और संसद में दिए गए मंत्री के जवाब में संशोधन कराने के लिए जोरदार प्रयास शुरू हो गए। केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय संशोधित जवाब तैयार कर रहा है और संकेत मिले हैं कि आगामी सोमवार को सवाल का संशोधित जवाब सदन के पटल पर लिखित रूप से रख दिया जाएगा।


मंत्रालय के शीर्ष पदस्थ अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, बीते सोमवार को सांसद डा. जी विवेकानंद ने अतारांकित प्रश्न (अनस्टार्ड) संख्या 3107 के तहत पूछा था कि क्या केंद्र सरकार के पास जाटों को ओबीसी के रूप में आरक्षण देने के लिए हरियाणा सरकार का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है? यदि हां तो जाटों को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने क्या कारण बताए हैं? इस पर डी नैपोलियन की ओर से जवाब में कह दिया गया कि केंद्र को इस बारे में हरियाणा सरकार से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। इस जवाब ने राज्य सरकार की नींद उड़ाकर रख दी। शीर्ष स्तर पर सवाल के जवाब में संशोधन कराने के प्रयास शुरू हो गए।

सूत्रों के मुताबिक, अब विभागीय अधिकारी सवाल के संशोधित जवाब को अंतिम रूप दे रहे हैं जिसमें कहा जाएगा कि बेशक जाटों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने के लिए मंत्रालय को राज्य सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से इस संबंध में एक समिति के ज्ञापन के साथ भेजा गया सिफारिशी पत्र अवश्य मिला है। संकेत मिले हैं कि मंत्रालय का संशोधित जवाब आगामी सोमवार को सदन के पटल पर रखा जाएगा।

आंध्रप्रदेश से सांसद हैं विवेकानंद
इस मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि सवाल पूछने वाले सांसद जी विवेकानंद कांग्रेस के ही हैं। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के पेड़ापल्ली क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जी विवेकानंद की इस सवाल को उठाने के पहले हरियाणा और जाटों के आरक्षण को लेकर दिलचस्पी कभी सामने नहीं आई थी। उनके संसदीय क्षेत्र और प्रदेश में भी जाट समुदाय के लोग नहीं हैं और हरियाणा में भी उनका नाम अनजाना सा ही है। आम लोगों की तो बात दूर राजनीतिक क्षेत्र में शायद ही उन्हें कोई जानता हो(दैनिक भास्कर,दिल्ली,4.12.2010)।

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