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09 दिसंबर 2010

मध्यप्रदेशःतकनीकी शिक्षकों की सुविधाएं बढ़ेंगी

प्रदेश के इंजीनियरिंग, एमसीए और एमबीए कॉलेज संचालक अब फैकल्टी के नाम पर खानापूर्ति नहीं कर पाएंगे। कॉलेज संचालकों को एआईसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन) के निर्धारित मापदंडों के मुताबिक तय वेतन और सुविधाओं पर ही योग्य शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति करनी होगी। इसके लिए सरकार नियामक इकाई बनाने जा रही है।

सरकार का मानना है कि इससे कॉलेज संचालक टेक्निकल स्टूडेंट्स की शिक्षा के स्तर के साथ कोई समझौता नहीं कर पाएंगे। सरकार इसके लिए नई तकनीकी शिक्षा नीति बनाने जा रही है, जिसका प्रस्ताव कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।

ये होगा फायदा
कई कॉलेज प्रबंधन एआईसीटीई के नियमों के मुताबिक फै कल्टी की संख्या पूरी करने के लिए 5 हजार रुपए जैसे न्यूनतम मासिक वेतन पर अपने ही कॉलेज के पासआउट्स को बतौर लेक्चरर अपॉइंट कर लेते हैं।


ऐसे कॉलेजों में कम वेतन के चलते योग्य शिक्षक इनसे किनारा कर लेते हैं। वहीं ये निजी कॉलेज फैकल्टीज को स्टडी लीव,सेमिनार्स में जाने की छुट्टियां, ट्रेनिंग प्रोग्राम देने जैसी सुविधाएं भी नहीं देते।

एआईसीटीई के मुताबिक वेतन-सुविधाएं
असिस्टेंट प्रोफेसर - 15,600 से 39,100 रुपए + 6,000 रुपए अकेडमिक ग्रेड पे एसोसिएट प्रोफेसर - 37,400 से 67,000 रुपए + 9,000 रुपए अकेडमिक ग्रेड पे प्रोफेसर - 37,400 से 67,000 रुपए + 10,000 रुपए अकेडमिक ग्रेड पे यह प्रस्ताव कैबिनेट की अगली बैठक में आएगा। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारा पहला मकसद है,जिससे कोई समझौता नहीं होगा।

इसके लिए कमेटी के सुझावों को पूरी अहमियत दी जाएगी। संस्थानों से इन नियमों का 100 फीसदी पालन कराया जाएगा। हाल ही में निजी संस्थानों पर हुई कार्रवाई इसका उदाहरण है-लक्ष्मीकांत शर्मा, तकनीकी शिक्षा मंत्री ऑनलाइन करने होंगे वेतन-सुविधाएं

तकनीकी शिक्षा की नई नीति पर विचार करने के लिए बनी कमेटी ने पारदर्शिता लाने के लिए फैकल्टीज को दी जाने वाली सुविधाओं, वेतन को ऑनलाइन करने का सुझाव दिया है।

कॉलेजों से बैंक के नाम,चेक नंबर तक जारी करने को कहा जा सकता है। कॉलेज न जाने, लेट आने,लेक्चर मिस करने जैसी गलतियों पर स्टूडेंट्स से फाइन की वसूली पर भी बॉडी नजर रखेगी(श्रद्धा जैन,दैनिक भास्कर,भोपाल,9.12.2010)।

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