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23 दिसंबर 2010

गोरखपुर में पुलिस भर्ती : कई कापियों में मिली गड़बड़ियां

गोरखपुर जोन में हुई भर्ती की जांच पूरी हो गई है। जांच टीम के अध्यक्ष अपर पुलिस महानिदेशक रामदेव बुधवार को लखनऊ लौट गए। जांच की बाबत उन्होंने कोई विवरण बताने से मना कर दिया, लेकिन सूत्रों की मानें तो कुछ कापियों में गड़बड़ी पकड़ में आयी है। वे अपनी रिपोर्ट शासन को देंगे। यह जांच सिर्फ कापियों की बाबत थी, जबकि इसके पहले आईजी पीके तिवारी ने भर्ती बोर्ड में शामिल 20 पीपीएस अफसरों का बयान लेकर अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप चुके हैं।
वर्ष 2005 में मुलायम सरकार में पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर सिपाहियों की भर्ती हुई। गोरखपुर में पुलिस व पीएसी के कुल नौ सौ सिपाहियों की भर्ती हुई थी। प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद मायावती सरकार ने भर्ती की व्यापक जांच करायी। अपर पुलिस महानिदेशक शैलजा कांत मिश्र के नेतृत्व में बनी 'शैलजा समिति' ने जांच टीम की। बाद में भ्रष्टाचार निवारण संगठन के अपर पुलिस महानिदेशक डा. रामलाल के नेतृत्व में इस प्रकरण की दुबारा जांच सौंपी गई। दोनों जांच टीम की अलग-अलग रिपोर्ट पर एक तरफ जहां सभी सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया, वहीं भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष रहे कुछ आईपीएस अफसरों को निलंबित कर दिया। कुछ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में अदालत के आदेश पर सिपाहियों को बहाल कर दिया। निलंबित आईपीएस अफसर भी बहाल हो गए। सिपाहियों की बहाली के आदेश के बाद सरकार उच्चतम न्यायालय में गई। न्यायालय ने कहा कि एक सिरे से सभी की बर्खास्तगी उचित नहीं है। लिहाजा दागी की पहचान करें और सिर्फ उसके खिलाफ ही कार्रवाई किया जाए। मसलन यह पुख्ता रुप से चिन्हित करें कि किसका नम्बर बढ़ाया गया? किसकी कापी दो हैंड राइटिंग में लिखी गई है? आदि।
उसके बाद प्रदेश सरकार ने नये सिरे जांच कराने का निर्देश दिया। इसके तहत अलग-अलग बोर्ड की जांच के लिए अलग-अलग जांच अधिकारी बनाए गए है। अपर पुलिस महानिदेशक (टेलीकाम) रामदेव को गोरखपुर जोन के लिए बनी जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसमें गोरखपुर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) व सीओ चौरी-चौरा भी शामिल हैं। यह टीम सोमवार को आईजी रेंज के कार्यालय में पहुंचकर जांच शुरू की। भर्ती से संबंधित सभी कापियां वहीं एक बड़े बाक्स में रखी गई हैं। सूत्रों के मुताबिक तीन दिन की जांच में एक-एक कापियां निकालकर जांच की गई। जांच में कुछ कापियों में बड़ी गड़बड़ियां पायी गयी है। मसलन किसी कापी में हल किये सवाल के अनुसार जो पहले नम्बर दिए गए हैं, उसमें अलग से नम्बर जोड़कर पास कर दिया है, जबकि कापी के भीतर के पन्नों पर नम्बर वही पुराना है। ऐसे में सवाल उठता है कि जो नम्बर जोड़े गए हैं वहां कहां से आया? उसी तरह कापियों में कुछ सवाल के जवाब किसी और की हैंड राइटिंग लिखे गए हैं, जबकि कुछ के किसी और हैंड राइटिंग में(दैनिक जागरण,गोरखपुर,23.12.2010)।

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