मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

23 दिसंबर 2010

दिल्लीःदादा-नाना संभालेंगे नर्सरी में दाखिले की कमान

राजधानी में ऐसे परिवारों की संख्या भी काफी है जिसमें पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं। इनके लिए अपने बच्चों का नर्सरी में दाखिला कराना बड़ी समस्या बन जाती है। दाखिले के लिए कई स्कूलों के चक्कर लगाने के कारण कई दिन छुट्टी लेनी पड़ती है। कई बार निजी कंपनियों से छुट्टी नहीं मिलने से भी उनकी परेशानी बढ़ जाती है। लेकिन इन दंपतियों ने इसका भी हल ढूंढ निकाला है। उन्होंने मिशन दाखिले के लिए बच्चों के नाना-नानी और दादा-दादी को बुला लिया है। बच्चों के नाना-नानी और दादा-दादी विभिन्न स्कूलों में जाकर दाखिले का फार्म खरीदेंगे। उन्हें भरने के बाद स्कूलों में जमा करेंगे और सूची निकलने के बाद नाम आने का पता लगाएंगे। इसके बाद दाखिले के दिन माता-पिता अवकाश लेकर बच्चे का दाखिला कराएंगे।

राजधानी के दो हजार पब्लिक स्कूलों में नर्सरी दाखिला प्रक्रिया पहली जनवरी से शुरू हो रही है। करीब एक सप्ताह बाद अभिभावक दाखिले के लिए आवेदन पत्र खरीदने और भरकर जमा करने के लिए भागदौड़ में लग जाएंगे। राजधानी में काफी संख्या में ऐसे दंपति भी रहते हैं, जिनमें पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं। इन लोगों के पास बच्चों के दाखिले के लिए स्कूलों के चक्कर काटने का समय नहीं है। ऐसे में उन्होंने बच्चों के नाना-नानी और दादा-दादी को गांव से अपने पास बुला लिया है। करोलबाग के प्रसाद नगर में रहने वाली दीपशिखा ने बताया कि वह और उसके पति दोनों साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। प्रयास के बाद भी उन्हें छुट्टी नहीं मिल पाई है। इस कारण उनके तीन वर्षीय बेटे के दाखिला की प्रक्रिया को निपटाने के लिए उसके नाना-नानी दिल्ली आ रहे हैं। खानपुर में रहने वाले दिनकर झा ने बताया कि वह और उसकी पत्नी दोनों नौकरी करते हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अपने साढ़े तीन वर्षीय बच्चे के दाखिले के लिए वे स्कूलों का चक्कर कैसे लगा पाएंगे। ऐसे में उनकी पत्नी ने दादा-दादी को गांव में से बुला लेने का सुझाव दिया। उसने अपने मां-पिताजी को अपने पास बुला लिया है। स्कूल से आवेदन पत्र खरीदने से लेकर जमा करने का काम वे कर लेंगे। उन्हें केवल दाखिले के समय एक दिन का अवकाश लेना पड़ेगा।
बता दें कि पिछले साल भी ज्यादातर बड़े स्कूलों में नर्सरी दाखिले का आवेदन पत्र खरीदने वालों में बड़ी संख्या बुजुर्गो की थी। आवेदन पत्र खरीदने और भरकर जमा करने के लिए दादा-दादी और नाना-नानी आते रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,23.12.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।