सीधे प्रवेश का अधिकार मिलने के साथ ही राजधानी के बीएड कॉलेजों में सीटों की नीलामी शुरू हो गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय के निर्देशों को ठेंगे पर रख अभ्यर्थियों से दो लाख रुपये तक मांगे जा रहे हैं। आलम यह है कि जो कॉलेज काउंसलिंग से सीटें फुल होने का डंका पीट रहे थे उनके यहां अब सीटें खाली निकल रही हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध एनआईसी का लिंक भी कॉलेजों में सीट फुल होने का दावा कर रहा है। यही नहीं कॉलेजों पर भरोसा करते हुए लविवि ने प्रवेश की अनुमति भी दे दी है।
कुछ मानक तय कर शासन ने कॉलेजों को खाली सीटों को बिना काउंसलिंग के भरने की अनुमति दी है। लेकिन मानक फाइलों में ही दब कर रह गए हैं। सबसे अधिक ऊहापोह कॉलेजों में सीटों पर है। लविवि प्रशासन ने आवंटित व खाली सीटों के ब्यौरे के लिए अपनी वेबसाइट से बीएड काउंसलिंग के लिंक ह्वश्चड्ढद्गस्र.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ को जोड़ा है। इसके आंकड़ों एवं कॉलेजों के दावों में जमीन आसमान का अंतर है। लखनऊ विश्वविद्यालय की बात करें तो एक दर्जन से अधिक ऐसे कॉलेज जिनमें काउंसलिंग से सीटें फुल हैं, वही अब खाली बताकर प्रवेश ले रहे हैं। १६ कॉलेजों ने सीटें खाली बताकर लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रवेश की अनुमति मांगी थी और कॉलेजों को हरी झंडी भी मिल गई है। लविवि के रजिस्ट्रार जी.पी. त्रिपाठी कहते हैं कि, कॉलेजों से कहा गया है कि वह जिन भरी सीटों के सापेक्ष प्रवेश ले रहे हैं उन छात्र-छात्राओं का नाम व रोल नंबर विज्ञापन में प्रदर्शित करें। यदि यह छात्र प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें पहली वरीयता काउंसलिंग से लिए अभ्यर्थियों को ही देनी होगी। हालांकि, रजिस्ट्रार के निर्देशों के उलट बहुत से कॉलेजों ने अपने विज्ञापन में न तो खाली सीटों का विवरण दिया है और न ही जिन छात्र-छात्राओं की सीटें खाली दिखा रहे हैं उनका ही नाम व रोल नंबर प्रकाशित किया। इस पर रजिस्ट्रार कहते हैं कि मानकों और निर्देशों का पालन न करने पर प्रवेश मंजूर नहीं होंगे। उनके द्वारा रिक्त बताई गई सीटों के संबंध में कोई प्रतिकूल स्थिति पैदा होती है तो जिम्मेदारी संबंधित कॉलेज की होगी(अमर उजाला,लखनऊ,25.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।