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05 दिसंबर 2010

केन्द्रीय योजनाओं में हों स्थाई नियुक्तियां-यूपी सरकार

मुख्यमंत्री मायावती ने केन्द्र सरकार से केन्द्रीय वित्त पोषित योजनाओं में पूर्ण कालिक राज्यकर्मियों की नियुक्ति किये जाने के संबंध में नीति बनाये जाने की मांग की है। सुश्री मायावती ने शनिवार को इस सम्बंध में प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को प्रेषित पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार की वित्त पोषित योजनाओं के क्रियान्वयन में अल्पकालिक,अस्थायी एवं संविदा के आधार पर की जानी वाली नियुक्तियों की उनके द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो उनके स्थान पर पूर्णकालिक एवं सुव्यवस्थित राज्य कर्मियों की नियुक्ति की नीति बनायी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र की वित्त पेषित योजनाओं में नियुक्त किये जाने वाले कार्मिकों के सम्बंध में वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था से जहां एक ओर नियुक्त हुए कार्मिकों में असंतोष की भावना व्याप्त रहती है वहीं दूसरी ओर वे अपने भविष्य के प्रति भी आशंकित रहते है। पत्र में उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में शिक्षामित्र, ग्रामीण विकास विभाग में रोजगार सेवक, कृषि विभाग में किसान मित्र, चिकित्सा,स्वास्थ्य विभाग एवं परिवार कल्याण विभाग में आशा कार्यकत्री, महिला एवं बाल कल्याण विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकत्री आदि जैसे जनता से सीधे जुड़े क्षेत्रों के लिए जो योजनाएं संचालित की जा रही हंै, उनमें विभिन्न पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्तियों की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अधिकांश योजनायें अल्पकालिक होती है तथा इन योजनाओं में कार्यरत कार्मिकों में अल्पवेतन तथा अस्थाई व्यवस्था के प्रति रोष की भावना व्याप्त रहती है। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मनरेगा के क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा जो दिशा-निर्देश जारी किये गये है,उनमें ग्राम पंचायत स्तर पर योजना के क्रियान्वयन के लिए संविदा के आधार रोजगार सेवकों को रखे जाने की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा इसी योजना में केन्द्र सरकार द्वारा अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, लेखाकार, कम्प्यूटर आपरेटर तथा अभियंताओं की नियुक्ति भी संविदा के आधार पर किये जाने के निर्देश दिये गये है। अस्थायी संविदा पर कर्मचारियों की तैनाती की व्यवस्था केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित अन्य योजनाओं में भी है। इन योजनाओं में कार्यरत कर्मचारी समय-समय पर अपनी सेवाएं स्थायी कराये जाने, वेतन बढ़ाये जाने तथा अन्य सुविधाएं दिये जाने की मांगों को लेकर आंदोलन करते रहते है। जिसका सीधा प्रभाव राज्य की कानून व्यवस्था पर पड़ता है। उन्होंने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्णकालिक एवं सुव्यवस्थित राज्य कर्मचारियों की नियुक्ति करने की नीति बनायी जाती है तो राज्य सरकारें शासकीय कर्मचारियों के माध्यम से इन योजनाओं का क्रियान्वयन अच्छी तरह से करा सकेंगी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.12.2010)।

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