डीलरशिप
मौजदा कंपनियां शहरों के बाद कस्बों और गांवों की ओर रुख कर रही है। नए समूह भी जल्दी ही उतरने वाले हैं। ऐसे में डीलरशिप लेने का अच्छा मौका है। चूंकि यह बाजार से बढ़ेगा, ऐसे में डीलरों का कारोबार भी जल्दी बढ़ेगा
कलपुर्जे की सप्लाई
सरकार ने 30 फीसदी घरेलू कलपुर्जे इस्तेमाल करने की शर्त रखी हैं। इसके अलावा कंपनियां खुद भी आयातित महंगे पुर्जों के बजाय स्थानीय सस्ते पुर्जे (उपलब्ध होने पर) लेने की इच्छुक होती है। नई कंपनियां भी बाजार में आ रही हैं। ऐसे में कलपुर्जों की सप्लाई करने और वाहन कंपनियों के वेंडर बनने का अदभुत मौका है।
इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों के बाजार में जैसे-जैसे करंट बढ़ रहा है, वैसे ही छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए कारोबार के नए मौके भी लगातार बढ़ रहे हैं। कंपनियां तेजी के साथ डीलर नेटवर्क बढ़ा रही हैं। तकरीबन सभी प्रमुख शहरों में अपनी पहुंच बनाने के बाद कंपनियों की निगाहें अब छोटे और मझोले शहरों और कस्बों पर हैं।
कंपनियों का कहना है कि 2011 के दौरान तेजी के साथ डीलर बनाए जाएंगे। लिहाजा, कारोबारी चाहें तो व्यवसाय के नए अवसरों का दोहन करने के लिए कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं। अपने शहर में डीलर बन सकते हैं। वहीं बात अगर पूंजी निवेश की करें तो पेट्रोल चलित दुपहिया वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की डीलरशिप के लिए निवेश काफी कम है। डीलरशिप लेना कितना फायदेमंद होगा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ वर्षों के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी के साथ बढ़ेगा। हीरो इलेक्ट्रिक के सीईओ सोहिंद्र गिल का कहना है कि वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार दोगुनी तेजी के साथ बढ़ेगा। इसके अलावा आने वाले वर्षों के दौरान इस बाजार में कम से कम 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी रहेगी।
बीएसए मोटर्स के वाइस प्रेसीडेंट के. बी. श्रीनिवासन भी कहते हैं कि डीलरशिप के अलावा जिस तेजी के साथ बाजार बढ़ेगा, वैसे ही स्पेयर पाट्र्स का धंधा भी फले-फूलेगा। लिहाजा, अगर छोटा निवेश करना चाहते हैं तो इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों के बाजार में भी उतर सकते हैं। फिलहाल बाजार में तकरीबन 30 छोटी-बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां मौजूद हैं। वहीं, कई दिग्गज कंपनियों के भी इस क्षेत्र में उतरने की उम्मीद है। ऐसे में कल-पुर्जे निर्माता वेंडरों की भी तेजी से जरूरत पड़ेगी।
गिल ने बताया कि हाल ही में जो अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने स्कीम लांच की है उसमें यह शर्त है कि कंपनियों को कम से कम 30 फीसदी कलपुर्जे घरेलू स्रोतों से ही खरीदने होंगे। इसके अलावा कंपनियों को रिटेल ऑपरेशन और आफ्टर सेल्स सर्विस आउटलेट भी अच्छी संख्या में स्थापित करने होंगे। ऐसे में निश्चित तौर पर नए वेंडरों की जरूरत होगी। गिल कहते हैं कि नए कारोबारियों के लिए इसमें अच्छा मौका है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के बहुत से कलपुर्जे सामान्य दुपहिया जैसे होते हैं। इसके लिए मौजूदा वेंडर अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर इस ओर अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं। वहीं, इलेक्ट्रिक कल-पुर्जे, ब्रेक शू, लॉक, सस्पेंशन आदि के लिए नए कारोबारी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं(बिजनेस भास्कर,दिल्ली,13.12.2010)।
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