दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार विद्वत परिषद और कार्यकारी परिषद के सदस्यों के चुनाव में ११ सौ तदर्थ शिक्षकों को लिस्ट में शामिल करने को लेकर शिक्षक नेताओं ने हंगामा किया। इनके विरोधी तेवर को देखते हुए प्रशासन ने मतदाता लिस्ट में इन्हें भी शामिल करने की स्वीकृति प्रदान की।
विश्वविद्यालय में २३ दिसम्बर को चुनाव है। इसको लेकर ३ दिसम्बर को नामांकन की आखिरी तारीख तय किया गया था। शुक्रवार को आखिरी दिन विद्वत परिषद में २६ सीटों के लिए ४४ शिक्षकों ने नामांकन किया। कार्यकारी परिषद के लिए ७ नाम आए हैं।
नामांकन के बाद स्क्रूटिनी के मौके पर पहुंचे शिक्षकों को जब यह पता चला कि प्रशासन मतदाता सूची में तदर्थ शिक्षकों के नाम शामिल करने से इंकार कर रहा है तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। ईसी सदस्य राजीव रे ने बताया कि पिछले साल तक सभी तदर्थ शिक्षक अपने मत का अधिकार इस्तेमाल में लाते रहे हैं। लेकिन इस बार प्रशासन सेमेस्टर के मद्देनजर यह तर्क दे रहा है कि २० नवम्बर को एक सेमेस्टर को अंत हो जाता है।
यहां तदर्थ शिक्षकों की सर्विस पर ब्रेकलगता है इसलिए उन्हें मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। कॉलेजों में ऐसा नहीं है। वहां तदर्थ शिक्षक निरंतरता में काम कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की तादाद इस बार करीब ११ सौ है। इसलिए उनके अधिकारों के हनन का विरोध किया गया। इसको लेकर २० नवम्बर को पत्र भी लिखा गया है।
शिक्षकों के विरोधी तेवर को ध्यान में रखते हुए उच्च अधिकारियों ने बीच बचाव किया और अंत में तदर्थ शिक्षकों को लिस्ट में शामिल करने पर अपनी हामी भर दी। चुनाव के लिए नाम वापसी की आखिरी तिथि ६ दिसम्बर है। इसके अगले दिन उम्मीदवारों की अंतिम लिस्ट निकाली जाएगी(नई दुनिया,दिल्ली,4.12.2010)।
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