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09 दिसंबर 2010

बरकतउल्ला विविःसत्यापन प्रमाण-पत्र भी निकला फर्जी

फर्जी मार्कशीटों के मामले में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। हालत यह है कि अब फर्जी मार्कशीटों के सत्यापन पर भी आंख मूंदकर यकीन नहीं किया जा सकता। विश्वविद्यालय में सक्रिय माफिया अब सत्यापन प्रमाण पत्र भी फर्जी तैयार कर सरकारी दफ्तरों में भेजने से संकोच नहीं कर रहा। ऐसा ही सर्टिफिकेट देख इन दिनों बीयू के अफसरों के भी हाथ-पैर फूले हुए हैं। फर्जी मार्कशीट बनाने वाले रैकेट ने विवि प्रशासन द्वारा भेजी गई सत्यापन रिपोर्ट को ही गलत साबित कर दिया है। इसके लिए बीयू के सहायक कुलसचिव के हस्ताक्षर से ही एक सर्टिफिकेट जारी किया गया है, जिसमें पूर्व में भेजी गई रिपोर्ट को ही गलत बताते हुए एक साथ 11 फर्जी मार्कशीटों को सही साबित करने की कोशिश की गई है। यह कारनामा हुआ है किसी मनोज पटेल नामक छात्र की मार्कशीट को लेकर। सतना कलेक्ट्रेट ने पटवारी चयन परीक्षा में लगाई गई पीजीडीसीए की मार्कशीटों का बीयू से सत्यापन कराया था। बीयू ने मनोज पटेल सहित सभी 11 मार्कशीटों को फर्जी बताते हुए सत्यापन प्रमाण पत्र गोपनीय तरीके से जारी किया था। मगर बुधवार को एक ऐसा प्रमाण पत्र सतना से विवि प्रशासन को भेजा गया है, जिसमें उस सत्यापन रिपोर्ट को गलती से जारी होना बताया गया है। साथ ही उक्त छात्र सहित सभी 11 की मार्कशीट वैध बताई हैं। यह पत्र सामने आने पर दिन भर चर्चाओं का दौर जारी रहा। मगर रजिस्ट्रार की गैर मौजूदगी के चलते कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। रजिस्ट्रार के आने पर यह मामला पुलिस को सौंपा जा सकता है। साथ ही इस फर्जी पत्र की असलियत से भी सतना कलेक्टर को अवगत कराया जाएगा। विवि की लापरवाही का परिणाम: असल में यह सब बीयू की लापरवाही का ही परिणाम है। पिछले सालों में बीयू की लगभग हर परीक्षा की फर्जी मार्कशीटें तैयार हुई हैं। इनमें बीएड, पीजीडीसीए,, बीएचएमएस आदि प्रमुख हैं। अव्वल तो मामले सामने आने पर बीयू जांच में ही काफी समय लगा देता है। इसके अलावा पुलिस को भी जांच में सहयोग नहीं किया जाता। किसी कर्मचारी से पुलिस पूछताछ भी करती है तो विवि से ही दबाव बनाया जाने लगता है। अपने स्तर पर भी विवि प्रशासन कभी कार्यवाही नहीं करता। पूर्व में जितने भी कर्मचारियों को ऐसे मामलों में स्थानांतरित किया गया, उन्हें भी बमुश्किल दस दिन बाद ही परीक्षा शाखा में पहुंचाने का काम विवि के ही आला अधिकारी करते हैं। विवि की लचर कार्यप्रणाली के चलते फर्जी मार्कशीटों के गोरखधंधे में लगे रैकेट के हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं।

उधर, डॉ. विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल के डायरेक्टर सेल्वम मुदलियार का कहना है कि इंस्टीट्यूट द्वारा प्रदान की जा रही डिग्रियां फर्जी नहीं हैं। उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लेने पर डॉ. विश्वैश्वरैया इंस्टीट्यूट पर मप्र शासन द्वारा की गई कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि दूरस्थ शिक्षा परिषद के नियमों में यह साफ कहा गया है कि कोई भी विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा एवं ऑनलाइन शिक्षा देश में व देश के बाहर संचालित कर सकती है। डॉ. विश्वैश्वरैया सोशल वेलफेयर सोसायटी, भोपाल द्वारा संचालित हमारा इंस्टीट्यूट मप्र शासन की रजिस्टन्नर फर्म सोसायटी द्वारा पंजीकृत है। डॉ. विश्वैश्वरैया इंस्टीट्यूट राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय उदयपुर से दूरस्थ शिक्षा में बीटेक, डिप्लोमा कोर्स, एमबीए, एमसीए एवं अन्य कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त है। डॉ. विश्वैश्वरैया इंस्टीट्यूट मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय, तमिलनाडु से ऑनलाइन शिक्षा के लिए बीए, बीकॉम, एमबीए व अन्य परंपरागत कोर्सेज के लिए मान्यता प्राप्त है। हमारी संस्था ऑनलाइन एजूकेशन में सिंघानिया विश्वविद्यालय झुनझुनू राजस्थान का एडमिशन एवं कारपोरेट सेंटर है। ऑनलाइन शिक्षा में प्रवेश लेने के लिए छात्र हमारी संस्था से संपर्क करते हैं।(दैनिक जागरण,भोपाल,9.12.2010)।

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