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04 दिसंबर 2010

गुरमति संगीत को नया जीवन दे रही है पंजाब यूनिवर्सिटी

गुरमति संगीत को जीवंत करने में पंजाबी यूनिवर्सिटी (पीयू) अहम कार्य कर रही है। यूनिवर्सिटी न केवल पिछले छह सालों से गुरमति संगीत चेयर, गुरमति संगीत विभाग, गुरमति संगीत भवन स्थापित कर चुकी है बल्कि उनमें एमए इन गुरमति संगीत व अंडर ग्रेजुएट स्तर पर रेगुलर व डिस्टेंस एजूकेशन के तौर पर कोर्स करवा रही है। गुरु नानक देव जी के साथ रहे भाई मरदाना जी जो गुरमति संगीत के प्रथम संगीतकार रहे हैं उनके संगीत को जीवंत रखने व उनके चहेतों तक पहुंचाने के लिए शुक्रवार को पंजाबी यूनिवर्सिटी के गुरमति संगीत विभाग ने भाई रणधीर सिंह ऑन लाइन गुरमति संगीत लाइब्रेरी की वेबसाइट लांच की है जिसके जरिए देश-विदेश में इस संगीत से जुड़े व इच्छुक लोग वेबसाइट का लाभ उठा सकेंगे। विभाग मुखी डा. गुरनाम सिंह बताते हैं कि वेबसाइट लांच करने का मुख्य मकसद गुरमति संगीत की परंपरा को जीवंत करके जन-जन तक पहुंचाना है। आज लांच की गई वेबसाइट पर गुरमति संगीत से जुड़ी सामग्री को ऑनलाइन करने का मुख्य मकसद इसका प्रसार व प्रचार करना है।डा. गुरनाम सिंह बताते हैं कि इस वेबसाइट पर गुरमति संगीत से जुड़ी सामग्री डालने के लिए उन्होंने फिलहाल नार्थ हिस्से में आने वाली कोई भी लाइब्रेरी नहीं छोड़ी है जहां से गुरमति संगीत से जुड़ी जानकारी न एकत्रित की हो। वहां पर पड़ी पुस्तकें, संगीत, पीएचडी व एमफिल के रिसर्च पेपर, शब्द कंपोजीशन, अमृत कीर्तन, समृति गं्रथ, आडियो लाइब्रेरी से सामग्री एकत्रित करके उनको स्केन किया है और फिर उसको डिजिटल करके वेबसाइट पर डाला है। इसमें भाई रणधीर सिंह की पुस्तकों के लेख के अलावा कुल 175 पुस्तकें, रिसर्च से जुडे़ 250 लेख, 35 शब्द कंपोजीशन, 1989 से लेकर 2008 तक के अमृत कीर्तन, 10 गुरमति संगीत के खास अंक, 15 समृति ग्रंथ, 31 रागों पर आधारित आडियो लाइब्रेरी के साथ-साथ पीएचडी व एमफिल करने वाले 10 रिसर्चरों की सूची दी है। डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू. गुरमतिसंगीतपीयूपी.कॉम वेबसाइट से इच्छुक लोग अपनी मनपसंद सामग्री डाउनलोड भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में गुरमति संगीत विभाग के स्टाफ सदस्यों के अलावा पंजाबी यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग के मुखी गुरप्रीत सिंह लहल, रीडर धर्मवीर सिंह, लाइब्रेरी मुखी डा. सरोजबाला, कंप्यूटर विभाग के निदेशक डा. कंवलजीत सिंह ने काफी सहयोग किया है। क्या है वेबसाइट पर : डा. गुरनाम सिंह बताते हैं कि इस वेबसाइट पर गुरमति संगीत से जुड़ी सामग्री डालने के लिए उन्होंने फिलहाल नार्थ हिस्से में आने वाली कोई भी लाइब्रेरी नहीं छोड़ी है जहां से गुरमति संगीत से जुड़ी जानकारी न एकत्रित की हो। वहां पर पड़ी पुस्तकें, संगीत, पीएचडी व एमफिल के रिसर्च पेपर, शब्द कंपोजीशन, अमृत कीर्तन, समृति गं्रथ, आडियो लाइब्रेरी से सामग्री एकत्रित करके उनको स्केन किया है और फिर उसको डिजिटल करके वेबसाइट पर डाला है। इसमें भाई रणधीर सिंह की पुस्तकों के लेख के अलावा कुल 175 पुस्तकें, रिसर्च से जुडे़ 250 लेख, 35 शब्द कंपोजीशन, 1989 से लेकर 2008 तक के अमृत कीर्तन, 10 गुरमति संगीत के खास अंक, 15 समृति ग्रंथ, 31 रागों पर आधारित आडियो लाइब्रेरी के साथ-साथ पीएचडी व एमफिल करने वाले 10 रिसर्चरों की सूची दी है। डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू. गुरमतिसंगीतपीयूपी.कॉम वेबसाइट से इच्छुक लोग अपनी मनपसंद सामग्री डाउनलोड भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में गुरमति संगीत विभाग के स्टाफ सदस्यों के अलावा पंजाबी यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग के मुखी गुरप्रीत सिंह लहल, रीडर धर्मवीर सिंह, लाइब्रेरी मुखी डा. सरोजबाला, कंप्यूटर विभाग के निदेशक डा. कंवलजीत सिंह ने काफी सहयोग किया है।

कीर्तन प्रेमियों के लिए पंजाबी यूनिवर्सिटी एक हजार घंटे का लगातार चलने वाला विभिन्न रागों पर आधारित कीर्तन इंटरनेट पर डालेगी। कीर्तन को नेट पर डालने के लिए गुरमति संगीत विभाग का कार्य चल रहा है। यह बात शुक्रवार को पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. जसपाल सिंह ने गुरमति संगीत विभाग में भाई रणधीर सिंह ऑन लाइन गुरमति संगीत लाइब्रेरी की वेबसाइट लांच करने के वक्त कही। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर कीर्तन डालने का मकसद कीर्तन के रुचिकारों को कीर्तन सुनाने के अलावा सीखने के इच्छुकों को कीर्तन सिखाना रहेगा। गुरमति संगीत की परंपरा को बचाने में सहयोगी साबित हो रहे गुरमति संगीत विभाग के लिए उन्होंने बीबी जसबीर कौर खालसा व डा. गुरनाम सिंह के लिए प्रशंसा के काफी बोल कहे। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली में हर साल गुरमति संगीत कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसके लिए दिल्ली सरकार 50 लाख रुपये की राशी प्रदान करती है। उन्होंने इस कार्य के लिए गुरमति संगीत विभाग को पांच लाख रुपये की राशी देने का एलान भी किया। वेबसाइट के लिए आर्थिक मदद देने वाले समारोह में मौजूद रहे मास्टर उजागर सिंह ने भी विभाग की जहां प्रशंसा की वहीं उनको हरसंभव मदद देने की बात कही। विभाग के मुखी डा. गुरनाम सिंह ने बताया कि वेबसाइट के लिए कई लाइब्रेरियों से पुस्तकें व सामग्री एकत्रित की गई है जिनको रीडेबल बनाया गया है। वेबसाइट बनाने के लिए सहयोगी रहे कंप्यूटर विभाग के निदेशक डा. कंवलजीत सिंह ने बताया कि काफी खस्ताहाल पुस्तकों के पन्नों को डिजीटलाईज्ड करके वेबसाइट में डाला गया है। भले वेबसाइट को एक क्लिक करने पर खोला जा सकता है लेकिन उसके पीछे सदस्यों की मेहनत को नही आंका जा सकता। कंप्यूटर विभाग के सदस्यों ने इसके लिए बहुत मेहनत की है। समापन अवसर पर डा. गुरनाम सिंह ने मौजूद सभी मेहमानों के सामने वायदा किया कि एक जनवरी 2011 को विभाग की वेबसाइट लांच की जाएगी(सुरेश कामरा,दैनिक जागरण,पटियाला,4.12.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. पहली बार आपके विचारों से अवगत हुआ, अच्छा लगा, अच्छी प्रस्तुति के लिए आपका आभार.

    आपके अपने ब्लॉग पर स्वागत है,
    http://arvindjangid.blogspot.com/

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