उत्तर प्रदेश में जिला सरकारी वकील (डीजीसी) की नियुक्ति और सेवानिवृत्ति आयु के नियमों में संशोधन पर लगी रोक फिलहाल हट गई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों पर अंतरिम रोक लगाने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में विधि परामर्शी मैनुअल में संशोधन कर डीजीसी की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दी थी और डीजीसी की नियुक्ति में जिला जज की सिफारिश के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया था। इस संशोधन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 सितंबर 2008 को अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के अंतरिम रोक आदेश के बाद राज्य के विभिन्न सरकारी वकीलों को सेवानिवृत्ति आयु में राहत मिल गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य सरकार के वकील कमलेंद्र मिश्रा का कहना था कि संशोधन करना सरकार का विधायी अधिकार है और हाईकोर्ट रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक नहीं लगा सकता जबकि डीजीसी की ओर से पेश वकील रणवीर यादव ने इसका विरोध किया और कहा कि मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है, यह तो सिर्फ अंतरिम रोक आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश रद कर दिया और मामला वापस हाईकोर्ट भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार शीघ्र सुनवाई की अर्जी दाखिल करती है तो हाईकोर्ट मामले पर जल्दी सुनवाई करके निपटारा करेगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,4.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।