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21 दिसंबर 2010

दिल्ली में नर्सरी दाखिलाःस्कूलों को मिली छूट पर कोर्ट में अर्जी

नर्सरी एडमिशन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंच गया है। इस मसले पर कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में दिल्ली सरकार के 15 दिसंबर के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। दरअसल सरकार ने इस आदेश के जरिए प्राइवेट स्कूलों को अपना एडमिशन क्राइटेरिया बनाने की पूरी छूट दे दी थी और कहा था कि स्कूल अपनी जरूरत के हिसाब से देखें कि उन्हें क्या करना है? बुधवार को इस मामले की सुनवाई हो सकती है।

संस्था सोशल जूरिस्ट की ओर से दाखिल की गई इस जनहित याचिका में कहा गया है कि स्कूलों को एडमिशन क्राइटेरिया बनाने की छूट नहीं दी जा सकती और स्कूल पॉइंट सिस्टम के जरिए एडमिशन करने की बात कर रहे हैं। यह राइट टु एजुकेशन एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर लॉटरी सिस्टम के जरिए एडमिशन होंगे और बाकी 75 प्रतिशत सीटों पर पॉइंट सिस्टम से। एक स्कूल में दो-दो सिस्टम कैसे लागू हो सकते हैं? याची ने कहा है कि सरकार ने स्कूलों को सिबलिंग, एलुमनी जैसा क्राइटेरिया बनाने की छूट दी है जबकि ये दोनों क्राइटेरिया लागू नहीं हो सकते। राइट टु एजुकेशन एक्ट में स्क्रीनिंग पर पूरी तरह से बैन है और सरकार का आदेश स्क्रीनिंग के दायरे में आता है।

नर्सरी एडमिशन फॉर्म्युले को लेकर इस बार पूरी तरह से कन्फ्यूजन बना हुआ है। एडमिशन प्रोसेस 15 दिसंबर से शुरू होना था लेकिन इसे 1 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। सरकार ने जो गाइडलाइंस दी, उससे पैरंट्स को हैरानी हुई। अब यह मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है। पहले सरकार ने लॉटरी सिस्टम अपनाने का संकेत दिया था लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और बाद में सरकार ने जो आदेश जारी किया, उसमें स्कूलों को एडमिशन फॉर्म्युला बनाने की छूट दे दी(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,21.12.2010)।

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