बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रदेश में रोजगार मेले लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए सरकार के पास फंड नहीं है। जांजगीर, रायगढ़ और दुर्ग के बाद शुक्रवार को कवर्धा में रोजगार मेले का आयोजन किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इसके मुख्य अतिथि हैं। ऐसे में खुद आर्थिक परेशानी से जूझ रहा रोजगार विभाग उधार के पैसों से कितने समय तक मेला लगा पाएगा, इस पर सवाल खड़े हो गए हैं।
रोजगार मेला लगाने पर चार से दस लाख रुपए तक खर्च आता है। अन्य जिलों रायपुर, राजनांदगांव व बिलासपुर मंे भी रोजगार मेले लगाने की योजना है। जांजगीर में 12 जून को रोजगार मेला लगाकर इस अभियान की शुरुआत की गई थी।
इसमें 60 से 70 हजार रुपए का बजट सरकार ने मुहैया कराया था। दूसरा बड़ा रोजगार मेला 6 सितंबर को रायगढ़ में लगा। इसमें लगभग पांच लाख रुपए खर्च आया था। इसके लिए रायगढ़ रोजगार कार्यालय को मात्र 30 हजार रुपए मुहैया कराए थे,
बाकी का काम उद्योगों की सहायता से हुआ था। 20 अक्टूबर को दुर्ग में लगे रोजगार मेले में भी लगभग चार लाख रुपए खर्च हुए, पर सरकार की ओर से इस आयोजन के लिए कोई बजट नहीं दिया गया।
ऐसे में सभी बिल लंबित हैं। अब कवर्धा में होने वाले मेले पर लगभग दसलाख का खर्च अनुमानित है। इसके लिए 20 हजार आवेदन आए हैं और कंपनियों की मांग 5263 पदों के लिए है।
रिजेक्ट हो गया प्रस्ताव:
रोजगार विभाग के उच्च अधिकारियों से इस संबंध में जब जानकारी मांगी गई तो उनका कहना था कि मेले के लिए सरकार के अनुपूरक बजट में लागत का प्रस्ताव दो बार भेजा गया है,
जो दोनों बार रिजेक्ट हो गया। जानकारों का कहना है ऐसी हालत में एक बार तो मेले का आयोजन हो जाता है, पर जब दोबारा लगाना हो तो किस मुंह से चंदा मांगने जाएंगे।
पहुंचे गांव-गांव तक रोजगार विभाग के सहायक निदेशक चिन्मय चौधरी का कहना है कि इस तरह के मेलों का आयोजन प्रदेश के ब्लॉक स्तर पर होना चाहिए, जिससे बेरोजगारों को अधिक से अधिक मौका मिल सके।
वहीं जानकारों का कहना है कि जब गिने-चुने जगहों पर आयोजन करने के लिए विभाग को फंड नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में ब्लॉक स्तर पर प्रदेश में यह कार्यक्रम कैसे चलाया जाएगा, यह कहा नहीं जा सकता।
मेलों पर एक नजर
स्थान खर्च अनुदान रोजगार
जांजगीर 70 हजार 70 हजार 1830
रायगढ़ 5 लाख 30 हजार 2327
दुर्ग 4 लाख 00 1000
कवर्धा 10 लाख 00 -- --
कई क्षेत्रों में नौकरी
रोजगार मेले में मुख्य तौर पर निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल होती हैं। टेक्निकल क्षेत्र में फिटर, वेल्डर, सिविल व अन्य ब्रांचों में इंजीनियरिंग तक की मांग की जाती है, जबकि नान टेक्निकल क्षेत्र में सिक्योरिटी गार्ड से लेकर मैनेजर, पीआरओ, सुपरवाइजर, प्रबंधक व महाप्रबंधक जैसे पदों पर नियुक्तियां होती हैं(जयंत कुमार सिंह,रायगढ-रायपुर,24.12.2010)।
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