प्री नर्सरी दाखिले के लिए बच्चे की उम्र चार साल से ज्यादा होनी चाहिए। राजधानी में यही नियम लागू है। यह जानकारी दिल्ली सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट के सामने दी। इस मसले पर अपने खिलाफ अवमानना की याचिका को बेबुनियाद बताया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह ऐसे स्कूलों की लिस्ट दाखिल करें, जिनमें साढ़े तीन साल तक के बच्चों को दाखिला दिया गया है। अगली सुनवाई ११ जनवरी को होगी।
यह याचिका २१ दिसंबर को एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से दाखिल की गई थी। उसमें बताया गया है कि हाईकोर्ट ने स्कूल में दाखिले की उम्र चार साल से अधिक निर्धारित की हुई है, पर सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को ताक पर रखा है। पब्लिक स्कूलों में दो-तीन साल के बच्चों को प्री-नर्सरी की आड़ में दाखिला दिया जा रहा है। इस कारण बच्चों पर कच्ची उम्र में मानसिक बोझ बढ़ रहा है।
याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अशोक अग्रवाल का कहना है कि वर्ष २००७ में एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने अशोक गांगुली कमेटी की सिफारिश पर चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्कूल में दाखिला देने पर रोक लगा दी थी। तब सरकार ने २००८-०९ के शैक्षणिक सत्र में इस आदेश के पालन का विश्वास दिलाया था।
किंतु सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार किया हुआ है। सरकार से मिली छूट के कारण पब्लिक स्कूलों में तीन साल की उम्र में नर्सरी दाखिला दिया जा रहा है। कुछ स्कूल तो प्री-नर्सरी की आड़ में दो साल में ही दाखिला दे रहे हैं। यह शिक्षा अधिनियम के खिलाफ है। अधिनियम में स्पष्ट है कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे को ३१ मार्च तक पांच साल का होना आवश्यक है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को गुरुवार जवाब-तलब किया। सरकार की तरफ से बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना नहीं की है। न ही पब्लिक स्कूलों को दो, तीन या साढ़े तीन साल की उम्र में दाखिला देने पर छूट दी है। याचिकाकर्ता या अन्य कोई व्यक्ति ऐसी शिकायत करता है तो सरकार कार्रवाई करेगी। उन पर गलत आरोप लगा है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि अगर उनका दावा सही है तो वह पब्लिक स्कूलों में चार साल से कम उम्र पर हुए दाखिलों की जानकारी कोर्ट को हलफनामे पर दें(नई दुनिया,दिल्ली,24.12.2010)।
ाच्छी खबर है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं