देशभर में बच्चों को बिल्कुल अलग तरीके से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे जवाहर नवोदय विद्यालय शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) के दायरे से बाहर रखेंगे। उसके लिए कानून में संशोधन की जरूरत भी नहीं होगी। इसे लेकर विधि और मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के बीच मामला सुलझ गया है। सूत्रों के मुताबिक अटार्नी जनरल और विधि मंत्रालय की राय लेने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जवाहर नवोदय विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने का मन तो बना चुका था, लेकिन बात इस पर फंस गई कि उसके लिए कानून में संशोधन हो या फिर मंत्रालय एक स्पष्टीकरण जारी कर खुद इसका फैसला कर सकता है। बताते हैं कि इस मामले में कानून मंत्रालय से दो बार में दो अलग-अलग राय दी, जिससे मंत्रालय के लिए भी असमंजस की स्थिति बन गई। लिहाजा बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की मौजूदगी में उनके मंत्रालय के आला अफसरों और विधि सचिव के बीच आमने-सामने बैठकर वार्ता हुई और मामला सुलझ गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक स्पष्टीकरण जारी कर साफ कर देगा कि नवोदय विद्यालय शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे के बाहर होंगे। इसकेलिए कानून में संशोधन नहीं करना होगा। गौरतलब है कि कानून के तहत छह से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा के लिए छात्रों तथा उनके माता-पिता की स्क्रीनिंग (किसी भी प्रकार का टेस्ट या साक्षात्कार) नहीं की जा सकती। साथ ही हर स्कूल को कमजोर वर्गो के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,23.12.2010)।
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