एक-दो विषय रुकने के कारण तकनीकी शिक्षा के लिए अयोग्य एनएफटी साबित होने वाले छात्र-छात्राओं को राहत मिल सकती है। ऐसे छात्र-छात्राओं को डिग्री भले ही न मिल पाए, लेकिन विदाई के साथ मिलने वाला डिप्लोमा का सर्टिफिकेट उन्हें मायूस होने से बचा सकता है। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने इस राहत की तलाश शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. पीयूष त्रिवेदी की अध्यक्षता में विवि की अकादमिक कौंसिल ने मंगलवार को हुई बैठक में इस मुद्दे पर विचार करने के बाद पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इसमें तीन डीन शामिल हैं। यह समिति इंजीनियरिंग के साथ ही फार्मेसी अथवा एमसीए के छात्र-छात्राओं को एनएफटी के साथ डिप्लोमा सर्टिफिकेट देने पर विचार करेगी। साथ ही इस प्रस्ताव को नियमों के दायरे में लाएगी। बताया जाता है कि फिलहाल ऐसी किसी व्यवस्था को एआईसीटीई से मान्यता नहीं है। विवि के आर्डिनेंस और शासन के नियम भी नहीं है। यह कमेटी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट देगी। ताकि बाद में छात्रों को किसी तरह की अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े। कमेटी की अनुशंसा के आधार पर राजभवन व एआईसीटीई को भी प्रस्ताव भेजा जाएगा। मंगलवार को हुई परिषद की बैठक में इस सत्र से लागू हुए ग्रेडिंग कम क्रेडिट सिस्टम की कमियों पर विचार किया गया। साथ ही इंजीनियरिंग, फार्मेसी और एमसीए के लिए अलग-अलग आर्डिनेंस को मंजूरी दी। सूत्रों के मुताबिक समिति ने पुराने और नए ग्रेडिंग सिस्टम के बीच आ रहे अंतर को दूर करने के सुझाव दिए। परिषद के सुझाव पर ग्रेडिंग पैटर्न में बदलाव कर दिए गए। ताकि नए पैटर्न को लेकर आगे दुविधा की कोई स्थिति न बने(दैनिक जागरण,भोपाल,8.12.2010)।
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