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04 दिसंबर 2010

झारखंडःझालकोकर्मी वेतन के लिए पहुंचे मां वैष्णोदेवी के दरबार में

वेतन के अभाव में आर्थिक तंगी झेल रहे झालकोकर्मियों को अब माता वैष्णौ देवी का आसरा है। यही कारण है कि झालको के कर्मचारियों ने चंदा इकट-ठा कर अखिल झारखंड कर्मचारी महासंघ के नेता घनश्याम रवानी को माता के दरबार भेजा है। वह माता के दरबार में सरकार की सदबुद्धि के लिए प्रार्थना करेंगे ताकि कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल सके। इसके बाद अजमेर शरीफ जाकर चादर चढ़ाएंगे। अगस्त माह से ही झालकोकर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। राज्य गठन के बाद से इन्हें कई बार वेतन नहीं मिलने की समस्या से जूझना पड़ा है। वेतन के अभाव में अबतक 28 कर्मियों की मौत हो चुकी है। जबकि पगार की बाट जोहते जोहते अठारह सेवानिवृत्त हो गये हैं। उन्हें बकाये राशि का भुगतान नहीं किया गया है। कुछ वर्ष पूर्व बारह महीने के वेतन से काटी गयी भविष्य निधि की राशि को खाता में जमा नहीं कर उक्त राशि से ही वेतन का भुगतान कर दिया गया था। यह रकम लगभग तीन करोड़ रुपये थी जिसे सीपीएफ घोटाला कहा जा रहा है।

घनश्याम रवानी का कहना है कि इससे पूर्व महासंघ के मुख्य संरक्षक सुदेश कुमार महतो के प्रयास से अक्टूबर 2009 से फरवरी 2010 तक का वेतन एक करोड़ अस्सी लाख का भुगतान कराया गया था, अब महतो डिप्टी सीएम सह जल संसाधन मंत्री हैं, उन्होंने वेतन समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया है, लेकिन झालकोकर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों का मानना है कि अब माता वैष्णौ देवी ही उनकी समस्या का समाधान करेंगी।


इसलिए एक सदस्य को चंदा इकट्ठा कर माता के दरबार भेजा गया है। उम्मीद है कि माता के दरबार से उनका दुख दूर होगा और वेतन मिलेगा।

झालको को चाहिए 11 करोड़
झालको कर्मचारियों के वेतन और अन्य लंबित बकाये के भुगतान के लिए ग्यारह करोड़ पैंतीस लाख रुपये की आवश्यकता है। कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुरेश पासवान ने इस संबंध में जल संसाधन सचिव आरएस पोद्दार को पत्र भेजा है। कहा है कि सरकार ने एक करोड़ अस्सी लाख रुपये का अनुदान दिया था जिससे जुलाई 2010 तक वेतन दिया जा चुका है। स्थापना मद में निधि के अभाव में अगस्त से वित्तीय वर्ष की शेष अवधि तक वेतन भुगतान संभव नहीं है, इसलिए ग्यारह करोड़ पैंतीस लाख रुपये कारपोरेशन को दिये जाएं। 

बताया जाता है कि अगस्त से मार्च तक वेतन भुगतान के लिए 320 लाख, पंचम वेतन पुनरीक्षण के आधार पर बकाये के भुगतान के लिए 275 लाख, वेतन से सीपीएफ मद में जमा करने के लिए 300 लाख, छठे वेतनमान के अनुसार भुगतान के लिए 240 लाख रुपये की आवश्यकता है(दैनिक भास्कर,रांची,4.12.2010)।

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