राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के मदरसों में साढ़े तीन हजार उर्दू शिक्षा सहयोगियों की भर्ती की कवायद जारी रखने की इजाजत दे दी है। साथ ही गैर उर्दूभाषी अभ्यर्थियों की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने भर्ती की कवायद को रोकने तथा बाद में उनको बिना उर्दू विषय के भर्ती के लिए योग्य मानने की गुहार की थी।
यह आदेश न्यायाधीश गोविंद माथुर ने मनोहर सिंह व अन्य बनाम स्टेट मामले की सुनवाई के तहत दिए। गौरतलब है कि इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 8 दिसंबर 2010 है।
प्रार्थीगणों की ओर से न्यायालय में कहा गया कि राजस्थान मदरसा बोर्ड ने नवंबर माह में प्रदेश भर के मदरसों में उर्दू शिक्षा सहयोगियों के 3500 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे।
इनमें अभ्यर्थियों के एसटीसी अथवा बीएड के साथ उर्दू विषय में स्नातक होना आवश्यक रखा गया था। प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि पद प्राथमिक शिक्षक के समकक्ष हैं, अत: भर्ती पर रोक लगाते हुए पुन: बिना उर्दू विषय के प्रशिक्षित शिक्षकों से भी आवेदन मांगे जाएं।
सरकारी अधिवक्ता हेमंत चौधरी तथा विशाल जांगिड़ ने प्रार्थीगणों की याचिकाका विरोध करते हुए कहा कि उक्त पद मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों के हैं, इसके लिए उर्दू का ज्ञान अनिवार्य है।
न्यायाधीश माथुर ने सरकारी अधिवक्ता की दलील मानते हुए उर्दू शिक्षा सहयोगियों की भर्ती जारी रखने के अंतरिम आदेश दिए(दैनिक भास्कर,जोधपुर,4.12.2010)
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