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29 दिसंबर 2010

उत्तराखंडःप्रवेश परीक्षा नहीं लेंगे स्कूल, टीसी भी नहीं मांगेंगे

टीसी और दूसरे प्रमाण पत्रों की अनुपलब्धता को आधार बनाकर स्कूल आठवीं तक के बच्चों के प्रवेश से वंचित नहीं कर सकेंगे। गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को हर हाल में तीन साल के भीतर मान्यता लेनी होगी। अन्यथा उनके ऊपर एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। इसके अलावा दस हजार रुपये प्रतिदिन का भी जुर्माना लगेगा। यह बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से शिक्षा का अधिकार अधिनियम पर डायट में आयोजित कार्यशाला में उभर कर सामने आई।
कार्यशाला में संयुक्त निदेशक टीका सिंह अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में प्रवेश के लिए आने वाले बच्चों को प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता। संयुक्त निदेशक ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के तीन साल के भीतर गैरमान्यता वाले स्कूलों को मान्यता लेनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर स्कूल को एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसके बाद भी मान्यता न ली गई तो दस हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना देना होगा। इसके अलावा सैनिक स्कूल, केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालयों को छोड़कर अन्य विद्यालय बच्चों के प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं लेंगे। कक्षा एक से आठ तक प्रवेश के लिए आने वाले बच्चों के पास यदि टीसी और अन्य प्रमाण पत्र न हों तो भी उन्हें प्रवेश देना होगा। ऐसे बच्चों को कक्षा एक से आठ तक न तो निष्कासित किया जा सकता है और न ही अनुत्तीर्ण। उन्होंने बताया कि स्कूल से वंचित बच्चों को उम्र के सापेक्ष कक्षा में प्रवेश देना होगा। इसके लिए बच्चों को उस कक्षा के स्तर तक लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा(अमर उजाला,देहरादून,29.12.2010)।

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