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12 दिसंबर 2010

एम्स सिखाएगा छोटे अस्पताल खोलने के गुर

सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद एम्स, आरएमएल, सफदरजंग जैसे अस्पतालों को मरीजों की भीड़ से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि मरीजों को महीनों के इंतजार के बाद इलाज नसीब होता है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार इसका प्रमुख कारण गांवों और छोटे शहरों में उचित संख्या में अस्पताल नहीं होना है।

इसके मद्देनजर अब एम्स परिसर में गांवों और शहरों में छोटे-छोटे अस्पताल या पॉलीक्लीनिक खोलने के गुर सिखाए जाएंगे। इसका बीड़ा एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया ने उठाया है।

इसमें क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) एसोसिएशन की तकनीकी मदद प्रदान करेगी। एम्स के सार्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि गांवों और छोटे शहरों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है।

इसके अलावा, जनसंख्या की तेज गति की वजह से खाई और बढ़ती ही जा रही है। एसोसिएशन ने इस खाई को पाटने के लिए पहल करने का निर्णय लिया है। एसोसिएशन के जरिये देशभर के हजारों डॉक्टरों को अपने-अपने इलाके में छोटे-बड़े अस्पताल शुरू करने के लिए तमाम तकनीकी और अन्य जानकारियां उपलब्ध कराई जाएंगी।


क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) इस काम में एसोसिएशन की मदद करेगी। उनका कहना है कि अस्पतालों को गुणवत्ता प्रमाण पत्र देने का काम क्यूसीआई का है और वह ही इस काम को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकेगा। 

डॉक्टरों को पेशेंट सेफ्टी, अस्पताल के गुणवत्ता मानक, कम खर्च पर अस्पताल शुरू करने और तकनीकी पहलुओं जैसे पंजीकरण करवाने की विधि आदि के बारे में बताया जाएगा। डॉ. अरविंद का कहना है कि गांवों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर ही बड़े अस्पतालों के ऊपर से बोझ को कम किया जा सकता है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,11.12.2010)।

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