गरीब बच्चों को मॉडर्न एजुकेशन दिलवाने के लिए शुरू किए गए ड्रीम स्कूलों में इन दिनों वर्दी के नाम पर मनमानी वसूली का मामला सामने आया है। चारों स्कूलों में यूनिफॉर्म बेचने के लिए दो दुकानदारों को बिठाया गया है, जो बाजार की तुलना में करीब 2 से 3 गुना ज्यादा दामों पर वर्दी बेच रहे हैं। बाहर से वर्दी खरीदने से रोकने के लिए यूनिफॉर्म में अजीबोगरीब लोगो डाल दिए गए हैं। दुकानदार की तिकड़मबाजी से परेशान पैरंट्स ने सीएम को लेटर भेजकर राहत की गुहार लगाई है। वहीं, दोनों स्कूलों के प्रिंसिपल इसे अथॉरिटी स्तर का मामला बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
गरीब और मेधावी बच्चों के लिए शुरू किए गए इन स्कूलों में शासन ने ट्यूशन और हॉस्टल फीस बेहद कम रखी है। साथ ही इन स्कूलों में पढ़ाई, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित कई सुविधाएं भी शुरू की गई हैं, जो उन्हें दूसरे सरकारी स्कूलों से अलग करती हैं। लेकिन अब स्कूलों में प्राइवेट दुकानदारों की मनमानी से शासन और नोएडा अथॉरिटी के प्रयासों को पलीता लगने लगा है। नोएडा के महामाया और पंचशील इंटर कॉलेज में सेक्टर-26 स्थित शॉप का दुकानदार वर्दी बेच रहा है। इस काम के लिए दोनों स्कूलों में दुकानदार को दो बड़े कमरे भी मुहैया करवाए गए गए हैं।
इन स्कूलों में बाजार में 100 से डेढ़ सौ रुपये तक मिल जाने वाली पैंट को 275 से 300 रुपये, 10 रुपये वाली नीले रंग की जुराब को 20 रुपये, 125- 150 वाली जर्सी को 220 रुपये, शूज 150 के बजाय 180 रुपये और 80 से 100 रुपये की शर्ट 200 रुपये में बेची जा रही है। वर्दी महंगी होने के कारण कई लोगों ने बाहर से यूनिफॉर्म खरीदने की कोशिश की, लेकिन अजीबोगरीब लोगो होने से उन्हें हर जगह से निराशा झेलनी पड़ रही है। पैरंट्स के अनुसार दो जोड़ी डे्रस उन्हें बाहर मार्केट में आसानी से 600-700 रुपये में मिल रही है। वहीं, दुकानदार की मनमर्जी के कारण अब उन्हें इस पर दो हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।
नहीं देते रसीद, लगा रहे चूना
दुकानदार पैरंट्स को ड्रेस खरीद की कोई रसीद नहीं दे रहा है। इसके चलते सरकार को भी कर के रूप में लाखों रुपये का चूना लग रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर यूनिफॉर्म बेच रही शॉप की मालकिन ने बताया कि उनसे कोई बिल मांगता ही नहीं, इसलिए वह बिल नहीं देतीं। अगर कोई डिमांड करता है तो यूनिफॉर्म खरीदने के दो-तीन दिन बाद वह उसे रसीद दे सकती हैं(नवभारत टाइम्स,नोएडा,12.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।