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28 दिसंबर 2010

फीस न देने पर छात्र को परीक्षा से वंचित करना गलत

शिक्षा का अधिकार सभी को है। अगर कोई छात्र फीस का भुगतान करने से चूक जाता है तो उसे परीक्षा देने से वंचित करना गलत है। यह टिप्पणी करते हुए सैनी एन्कलेव स्थित पूर्वी जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष यूसी तिवारी ने हैदराबाद की आईसीएफएआई अर्थात इकफाई यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और दिल्ली में यूनिवर्सिटी के ब्रांच मैनेजर को निर्देश दिया कि वे फीस न मिलने पर एमबीए की परीक्षा से वंचित रह गए छात्र को परीक्षा देने का मौका प्रदान करें। पेश मामले में पांडव नगर निवासी अजय कुमार पंवार ने उपभोक्ता फोरम में हैदराबाद स्थित इकफाई यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, प्रीत विहार स्थित यूनिवर्सिटी की ब्रांच के मैनेजर और इंद्रजीत भट्ट नामक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दी थी। अजय का कहना था कि उसने इकफाई यूनिवर्सिटी में 10 अगस्त, 1999 को एमबीए कोर्स में दाखिल लिया था। इसके लिए 16 हजार रुपये फीस उसने किश्तों में अदा की। एमबीए की फाइनल परीक्षा आई तो उसे ब्रांच मैनेजर और वाइस चांसलर ने कहा कि मार्च 2000 की 1250 रुपये की किश्त का चेक बाउंस हो गया था। उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। उसने 1250 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट बनाकर यूनिवर्सिटी के ब्रांच मैनेजर को दे दिया। इसके बावजूद उन्होंने उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया। उसे कहा गया कि उसका डिमांड ड्राफ्ट भी डिसऑनर हो गया है। उसने मामले में वाइस चांसलर और ब्रांच मैनेजर के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिये इंद्रजीत भट्ट नामक व्यक्ति को कहा। इंद्रजीत ने उससे 929 रुपये भी ले लिए मगर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके चलते उसका साल बर्बाद गया(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,28.12.2010)।

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