नर्सरी कक्षा में बच्चों के दाखिले के मामले में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी दिशा निर्देश नई बोतल में पुरानी शराब की तरह हैं। निजी स्कूलों के हाथों में पूरी नामांकन प्रक्रिया सौंप कर सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
ताजा दिशा-निर्देश एक अबूझ पहली की तरह हैं जिनसे अभिभावकों की दुविधा और बढ़ जाएगी। पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि पुरानी प्रणाली को ही नए नियम-कायदों के साथ पेश कर दिया गया है।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह ने बुधवार को जो कुछ बताया उसका लब्बोलुआब यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला देते समय २५ प्रतिशत के कोटे में तो निजी स्कूल लॉटरी प्रणाली को अपनाएंगे जबकि बाकी बची ७५ फीसदी सामान्य श्रेणी की सीटों का बंटवारा चार भिन्न-भिन्न श्रेणियों के आधार पर होगा।
श्री सिंह ने कहा कि यदि सरकार द्वारा तय की गई चार श्रेणियों के तहत जो बच्चे नहीं आएंगे उनका एडमिशन लॉटरी के आधार पर किया जाएगा। बता दें कि श्रेणियां पहले भी थीं जिनके आधार पर प्वाइंट तय किए जाते थे। १०० प्वाइंट को मानक मानकर सबसे ज्यादा अंक हासिल करने वाले बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता दी जाती थी। अब प्वाइंट को बदलकर श्रेणी को ही आधार बना दिया गया है।
इनके आधार पर नंबर नहीं, बल्कि स्टार दिए जाएंगे। सबसे ज्यादा स्टार हासिल करने वाले बच्चों को प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन अंततः होगा क्या यह तभी तय होगा जब निजी स्कूल अपने-अपने फार्मूले पेश करेंगे।
शिक्षा मंत्री श्री सिंह द्वारा किए गए खुलासे के बावजूद इस मुद्दे पर भारी दुविधा का माहौल दिखा। खुद श्री सिंह भी इस मामले में बहुत खुलकर बोलने से परहेज करते रहे। उनका जोर इस बात पर था कि किसी भी बच्चे के एडमिशन में कोई परेशानी नहीं होने पाए। लेकिन इतना तय है कि होगा वही जो पब्लिक स्कूल चाहेंगे। अब देखना यह है कि इन स्कूलों की ओर से कौन सा फार्मूला पेश करते हैं। दिल्ली सरकार ने दाखिले के दिशा-निर्देशों को जारी कर अभिभावकों की दुविधा और बढ़ा दी है। दिशा निर्देशों में न तो नेबरहुड (घर से स्कूल की दूरी) और न ही उम्र को लेकर कुछ भी स्पष्ट किया गया है। दाखिले की प्रक्रिया को पूरी तरह से निजी स्कूलों के हाथों सौंप दिया गया है।
सरकार के दिशा-निर्देशों ने अभिभावकों की दुविधा को और बढ़ा दिया है। दिशा-निर्देशों में कहीं भी कोई स्पष्टता नहीं है। विशेषतौर पर दिशा-निर्देशों में कहीं भी लिखित में घर से स्कूल की दूरी की श्रेणी की बात नहीं की गई है। अब यह पूरी तरह से स्कूलों पर निर्भर करता है कि स्कूल इसको दाखिले का आधार बनाएंगे या नहीं। नर्सरी दाखिलों की जानकारी देने वाली वेबसाइट के वेबमास्टर सुमित वोहरा का कहना है कि सरकार ने लॉटरी को नकार कर तो अभिभावकों के हित फैसला दिया है। लेकिन कहीं न कहीं दिशा-निर्देशों की रूपरेखा निजी स्कूलों के दबाव में तय की गई लगती है। दिशा-निर्देशों का पूरा फायदा स्कूल अपने मुताबिक उठाएगा।
कहीं भी एक बच्चे वाले अभिभावकों का जिक्र नहीं है। दाखिले की प्रक्रिया स्कूल अपने मुताबिक तय करेंगे जिसमें भी सरकार ने महज चार श्रेणी को छोड़कर कुछ भी उल्लेख नहीं किया है। दूसरी तरफ सामान्य वर्ग को करीब दस प्रतिशत का नुकसान ही हुआ है।
वहीं अभिभावकों का कहना है कि दिशा-निर्देशों में कोई एकरूपता नहीं दी गई है। यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि प्वांइट अगर होंगे तो वह महज चार श्रेणियों में दिया जाएगा या प्वाइंट के लिए स्कूल अपनी ओर से श्रेणियां बनाएगा। यह भी हो सकता है कि स्कूल इन चार श्रेणियों के आधार पर पंजीकरण करवाए उसपर रैंडम सिलेक्शन कि या जाए। वहीं निजी स्कूलों का कहना है कि अभी दिशा-निर्देशों के आधार पर दाखिले का फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है(नई दुनिया,दिल्ली,16.12.2010)।
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