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17 दिसंबर 2010

महाराष्ट्रःपरीक्षाओं पर महंगाई की मार

बढ़ती महंगाई की आढ़ लेकर राज्य सरकार ने लाखों अभिभावकों की जेबों पर बड़ा डाका डालने का फैसला किया है। दरअसल, सरकार ने वर्ष 1993 के बाद पहली बार बोर्ड परीक्षा के फॉर्म सहित बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले स्कूल, कालेज और प्रायवेट स्टूडेंट्स के लिए पंजीकरण शुल्क में भारी बढ़ोतरी कर दी है। नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा ने सदन में इस फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि यह बढ़ोतरी करना जरूरी था क्योंकि पिछले 17 वर्षों में विभिन्न वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़े हैं। सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो सकने वाले इस फैसले ने अभिभावकों को टेंशन में तो ला ही दिया है राजनीतिक स्तर पर भी इस फैसला का विरोध शुरू हो गया है।

मिली जानकारी के अनुसार दसवीं कक्षा के परीक्षा फॉर्म के शुल्क को 225 से बढ़ाकर 300 रुपये जबकि बारहवीं कक्षा की के परीक्षा फॉर्म का शुल्क अब 245 की बजाय 325 रु. होगा। रिटोटलिंग फार्म की कीमत को बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है जो पहले 20 रु. थी। प्रायवेट फार्म नंबर 17 अब 5 के बजाय 10 रुपये में मिलेगा।

पंजीकरण शुल्क की बात करें तो प्रायवेट स्टूडेंट्स को दसवीं की परीक्षा में बैठने के लिए अब 500 के बजाय 1000 रुपये और बारहवीं की परीक्षा में बैठने के लिए 45 की बजाय 500 रुपये बतौर पंजीकरण या एनरॉलमेंट फीस देने होंगे। वही दसवीं और बारहवीं कक्षा के स्टूडेंट्स से अब एक-एक हजार रुपये बतौर पंजीकरण शुल्क लिए जाएंगे। 
पहले यह शुल्क क्रमश: 200 और 400 रुपये था। यह वृद्धि फरवरी- मार्च 2011 से लागू होगी।


सदन के भीतर इस भारी भरकम वृद्धि का कई सदस्यों ने चिंता जताई। सदस्यों ने कहा कि इतनी अधिक बढ़ोतरी से गरीब परिवारों के स्टूडेंंट्स के लिए पढ़ाई जारी रखना बहुत मुश्किल होगा खासकर रात्रिकालीन स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए। सदस्यों ने शुल्क वृद्धि वापस लिए जाने की मांग की तथा गरीब वर्गों तथा रात्रिकालीन स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को छूट देने की मांग की। 

राज्य बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि स्टूडेंट्स से बोर्ड द्वारा ली जाने वाली फीस से पेपर सेट करने, परिवहन, कापियों की जांच और स्टेशनरी का भुगतान किया जाता है। पुरानी दरों पर इन खर्चों का भुगतान करने में सरकार को काफी दिक्कतें पेश आ रही थीं। 

एक स्टूडेंट प्रशांत पंडित ने कहा कि इतनी अधिक शुल्क वृद्धि से परिवार का बजट गड़बड़ा जाएगा। अचानक की गई यह वृद्धि अन्यायपूर्ण है। अगर शुल्क बढ़ाना ही था तो थोड़ा थोड़ा कर हर साल बढ़ाते। 

यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर सिस्टम 
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश टोपे ने सदन में घोषणा की कि राज्य की सभी यूनिवर्सिटियों में सेमेस्टर प्रणाली ( हर 6 माह में परीक्षा ) को शुरू करने की सरकार की योजना है। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के विषय पर केंद्रित चर्चा के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में टोपे ने यह घोषणा की। 

फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए विधेयक 
स्कूली शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा ने कहा कि बेतहाशा फीस वृद्धि पर लगाम कसने के लिए राज्य सरकार एक विधेयक लाएगी। इसके बाद स्पीकर दिलीप वल्से पाटील ने सरकार को निजी स्कूलों में फी स्ट्रक्चर के नियमन के लिए ऑर्डिनेंस लाने का निर्देश दिया(नवभारत टाइम्स,मुंबई,17.12.2010)।

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