लखनऊ विश्वविद्यालय में खुद को अंग्रेजी विभाग का प्रोफेसर बताकर अरुण राय ने एक छात्र से एमफिल समाजशास्त्र में दाखिला क रवाने के नाम पर 25 हजार रुपए ले लिए। इलाहाबाद में रहने वाले इस छात्र देवी प्रसाद यादव को आश्वासन यह दिया कि वह जल्द ही हॉस्टल आवंटित क रवाकर उसे फीस रसीद दे देगा। मगर जब डेढ़ महीना बीत गया तो भुक्तभोगी छात्र ने इस मामले की तहकीकात शुरू की। समाजशास्त्र विभाग जाकर पता किया तो पता चला कि उसका दाखिला नहीं हुआ है। असलियत पता चलने के बाद भी अरूण उसे दिलासा दिलाने की कोशिश में लगा रहा कि वह दाखिला क रवा देगा। मगर जब भुक्तभोगी छात्र ने अपनी रक म वापस माँगी तो वह गोलमोल जवाब देने लगा। शुक्रवार को छात्र देवी प्रसाद यादव अपने मित्र धीरज त्रिपाठी के साथ लविवि पहुँच गया। वहां प्रशासनिक भवन के बाहर उसे अरू ण दिख गया। अरूण को रोककर दोनों उससे रक म वापस मांगने लगे तो वह वहाँ से भागने लगा। मगर दोनों छात्रों ने उसे दौड़ाकर हनुमान सेतु के पास पकड़ लिया और उसे लविवि पुलिस चौकी ले आए। यहां पर भुक्तभोगी छात्र ने धोखाधड़ी का मुक दमा दर्ज करवाने के लिए तहरीर दे दी। मगर पुलिस ने आरोपी को छोड़ दिया और अब वह यह कह रही है कि रकम वापस क रने को तैयार होने पर सुलह क रवा दिया गया है। मगर भुक्तभोगी छात्र का कहना है कि हम समझौता नहीं चाहते अरूण को जेल भेजा जाए। पुलिस का कहना है कि अरु ण राय अपने आपको लविवि का डी-लिट् छात्र बता रहा है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए समाजशास्त्र की पढ़ाई पूरी कने के बाद देवी प्रसाद यादव ने लखनऊ यूनिवर्सिटी मे एमफि ल में दाखिले के लिए आवेदन किया था। जब दाखिले की मेरिट लिस्ट निकली तो उसमें देवी प्रसाद का नाम चयनित सूची मे था। मगर बंगलुरु जाने के कारण वह दाखिल के लिए काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाया। इसी बीच इलाहाबाद में उसे अरुण राय मिल गया। उसने अपना परिचय दिया कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर है और वह दाखिला करवा देगा। इसके लिए उसने 25 हजार रूपए की डिमांड की जिस पर देवी प्रसाद राजी हो गया। उसने पहले 18 हजार रूपए दिए फिर तीन-तीन हजार रूपए दो बार में दिए। मगर जब डेढ़ महीने बीत गए और दाखिला नहीं हुआ तो उसका माथ चकराया। उसने पड़ताल करनी शुरू की तो अरु ण की असलियत सामने आ गई। मगर इसके बावजूद वह दाखिला दिलवाने का झाँसा देने लगा। शुक्र वार को वह भुक्तभोगी छात्र के हाथ लग गया तो उसने पक ड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। भुक्तभोगी छात्र देवी प्रसाद यादव का कहना है कि अरुण शायद लविवि में पढ़ता ही नहीं है(हिंदुस्तान,लखनऊ,4.12.2010)।
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